हर हर महादेव मित्रों मै इस ब्लाग के माध्यम से Ashutosh Shashank Shekhar भगवान शिव जी के स्तुति के बारे में अर्थ सहित एंव महादेव जी के महि...
हर हर महादेव मित्रों मै इस ब्लाग के माध्यम से Ashutosh Shashank Shekhar भगवान शिव जी के स्तुति के बारे में अर्थ सहित एंव महादेव जी के महिमा के बारे में सम्पूर्ण विस्तार से बताया हूं, जिससे आपके हम सबके जीवन में शिव तत्व का प्राप्ति होगा।
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Ashutosh Shashank Shekhar |
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा ॥
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा ॥
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा ॥
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा ॥
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा ॥
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
कोटि नमन दिगम्बरा..
"आशुतोष शशांक शेखर" शिव भजन का अर्थ एवं भावार्थ
🔱 पहला पद: शिव की स्तुति
लिरिक्स:
"आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥"
अर्थ:
- "आशुतोष": जो शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं (शिव का एक नाम)
- "शशांक शेखर": चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने वाले
- "चिदंबरा": ज्ञान स्वरूप, आकाश की तरह विस्तृत
- "दिगम्बरा": जिनका वस्त्र आकाश है (निर्लिप्त)
भाव: भक्त शिवजी को करोड़ों प्रणाम करते हुए उनके विराट स्वरूप का ध्यान कर रहा है।
🌀 दूसरा पद: शिव का स्वरूप
लिरिक्स:
"निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥"
अर्थ:
- "निर्विकार": जिसमें कोई परिवर्तन नहीं
- "ओमकार": ॐ के रूप में विद्यमान
- "शिवम सत्यम सुंदरा": शिव ही सत्य और सौंदर्य हैं
भाव: शिव सृष्टि के निर्माता, पालनहार और संहारक हैं। वे सभी देवों के भी देव (महादेव) हैं।
🌿 तीसरा पद: योगीश्वर का वर्णन
लिरिक्स:
"निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥"
अर्थ:
- "कालेश्वर": काल (समय) के भी स्वामी
- "दयानिधि": दया का सागर
- "अभयंकरा": भय को नष्ट करने वाले
भाव: शिवजी योगियों के भी स्वामी हैं और वे अपने भक्तों को सभी भय से मुक्त करते हैं।
⚡ चौथा पद: शिव के गुण
लिरिक्स:
"शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा ॥"
अर्थ:
- "त्रिशूल धारी": त्रिशूल जिसका प्रतीक है (सत्व, रज, तम का नियंत्रण)
- "बाघम्बरी": बाघ की खाल पहनने वाले
- "त्रिलोचन": तीन नेत्रों वाले
भाव: शिवजी संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं और वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
भगवान शिव की महिमा: अद्भुत रहस्य और आध्यात्मिक सत्य
1. शिव - संहारक और कल्याणकारी का अद्भुत संगम
भगवान शिव को 'महादेव' कहा जाता है क्योंकि वे संहार के देवता होने के साथ-साथ परम कल्याणकारी भी हैं। वे एक ओर जहां 'भैरव' रूप में भयंकर हैं, वहीं 'बाबा भोलेनाथ' के रूप में अत्यंत दयालु।
प्रमुख बिंदु:
- वे अर्धनारीश्वर रूप में सृष्टि के पुरुष और प्रकृति तत्व का संतुलन दर्शाते हैं।
- नीलकंठ नाम से विष पीकर भी जगत का कल्याण करते हैं।
- नटराज रूप में ब्रह्मांडीय नृत्य के माध्यम से सृजन और प्रलय का चक्र दिखाते हैं।
शिव के 5 मुख्य स्वरूप और उनका रहस्य
- सदाशिव - निराकार परब्रह्म का स्वरूप
- महाकाल - काल के भी स्वामी
- पशुपतिनाथ - जीवों के स्वामी
- उमापति - माता पार्वती के अर्धांगी
- कामारि - कामदेव को भस्म करने वाले
शिव से जुड़े प्रमुख प्रतीक और उनका गूढ़ अर्थ
- जटाजूट: समस्त ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं का केंद्र
- त्रिशूल: सत्व, रज और तम गुणों का नियंत्रण
- डमरू: नाद ब्रह्म का प्रतीक
- भस्म: नश्वरता का स्मरण
- नागहार: काल और मृत्यु पर विजय
शिव पूजन के विशेष लाभ
- रुद्राभिषेक: समस्त कष्टों का निवारण
- महामृत्युंजय मंत्र: आयु और आरोग्य वृद्धि
- शिवलिंग पूजा: मोक्ष प्राप्ति का साधन
- सोमवार व्रत: मनोकामना पूर्ति
शिव तत्व का आधुनिक जीवन में महत्व
- मनोविज्ञान की दृष्टि से: शिव का ध्यान मन को एकाग्र करता है
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण: शिवलिंग को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है
- प्रबंधन सिद्धांत: नटराज की तरह संतुलन बनाए रखना
भगवान शिव के नाम और उनका विशेष महत्व
- कुछ उल्लेखनीय नाम:
- महेश्वर: सृष्टि के स्वामी
- शंकर: कल्याणकारी
- गंगाधर: गंगा को धारण करने वाले
- वृषभध्वज: धर्म के प्रतीक वृषभ के ध्वज वाले
शिव संबंधी रोचक तथ्य
- कैलाश पर्वत को शिव का निवास स्थान माना जाता है जो आज भी रहस्यों से भरा है
- 12 ज्योतिर्लिंगों में शिव के विभिन्न स्वरूप विद्यमान हैं
- शिव पुराण में शिव के 1008 नामों का वर्णन है
शिव भक्ति का सरल मार्ग
- प्रतिदिन "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप
- शिवलिंग पर जल अर्पण
- शिव तांडव स्तोत्र का पाठ
- भस्म धारण कर नश्वरता का स्मरण
- हर हर महादेव! ॐ नमः शिवाय।
"शिव ही सत्य हैं, शिव ही सुंदर हैं, शिव ही अनंत हैं। उनके अलावा सब कुछ माया है।" - शिव पुराण