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हावड़ा से कालीघाट का रास्ता | havada se kalighat ka rasta : सम्पूर्ण यात्रा

 इस ब्लाग मैप में सबको लेकर चलने वाली हूँ।   हावड़ा से कालीघाट का रास्ता , कोलकाता के कालीघाट मंदिर की यात्रा पर जो की देवी काली को समर्पित...

 इस ब्लाग मैप में सबको लेकर चलने वाली हूँ।  हावड़ा से कालीघाट का रास्ता , कोलकाता के कालीघाट मंदिर की यात्रा पर जो की देवी काली को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। और माँ काली का आशीर्वाद लेने के लिए देशभर से लोग इस मंदिर में आते हैं। क्योंकि यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

हावड़ा से कालीघाट का रास्ता | havada se kalighat ka rasta : सम्पूर्ण यात्रा image
हावड़ा से कालीघाट का रास्ता

शिव के रुद्र तांडव के दौरान माता सती जी के शरीर के विभिन्न अंग अलग अलग स्थानों पर गिरे थे। और जहाँ पर यह कालीघाट मंदिर बना है, उस स्थान पर सती के दाहिने पैर के पंजे गिरे थे। और आज यहाँ जो हमें मंदिर देखने को मिलता है वह 19 वीं शताब्दी का है। 

हालांकि 15 वीं और 17 वीं शताब्दी के बंगाल के कुछ भक्ति साहित्य में भी इसका उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि कालीघाट मंदिर चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय से अस्तित्व में है। और मूलमंत्र एक छोटी सी झोंपड़ी के आकार का ढांचा था जिसे राजा मान सिंह ने 16 वीं शताब्दी में बनवाया था। और वर्तमान संरचना 1809 में सब रन रॉय चौधरी के मार्गदर्शन में पूरी हुई। 

मंदिर के मुख्य मैं आपको एक देवी काली की अनूठी प्रतिमा देखने को मिलती है। तो अगर आप भी माँ काली के इस पवित्र मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं।यहाँ आकर माँ काली की पूजा अर्चना करना चाहते हैं, तो यह लेख बिलकुल आप ही के लिए क्योंकि इस ब्लाग में मैं आपको सारी जानकारी दे दूंगी। 

जैसे की आपको कालीघाट मंदिर तक कैसे पहुंचना है, वहाँ कहाँ रुकना है, खाने पीने की वहाँ क्या सुविधा मिलने वाली है आपको यहाँ पर दर्शन कैसे करने है।

कितने दिन का ट्रिप प्लैन करे, कौन सा सबसे बेस्ट टाइम रहेगा यहाँ विजिट करने के लिए, इस विज़िट में आपका कुल खर्चा कितना आ जाएगा। 




हावड़ा से काली घाट का रास्ता हवाई जहाज

यह काली घाट का जो निकटतम हवाई अड्डा है वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो कि कोलकाता में ही बना हुआ है। तो आपको अपने शहर से कोलकाता तक के लिए फ्लाइट लेनी होगी, और एअरपोर्ट से उतरने के बाद आपको एअरपोर्ट के बाहर से ही काफी सारे टैक्सी मिल जाएंगी, जो की आपको कालीघाट मंदिर तक पहुंचा देंगी।

और यहाँ कोलकाता एअरपोर्ट से कालीघाट मंदिर तक की जो दूरी है वो लगभग 25 किलोमीटर की है, जिसे कवर करने में आपको लगभग 1 घंटे का समय लगेगा। 



हावड़ा से काली घाट रास्ता रेलवे ट्रेन

अगर आप ट्रेन से आने की सोच रहे हैं तो कालीघाट मंदिर का जो निकट में रेलवे स्टेशन हैं। वह सियालदह रेलवे स्टेशन है। लेकिन अगर इन केस आपको आपके शहर से सियालदह रेलवे स्टेशन तक के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिलती है।

 उस केस में आप हावड़ा जंक्शन आ सकते हैं, जो की यहा का दूसरा नियरेस्ट रेलवे स्टेशन है। और यहाँ पर मैं आपको बता दूँ कि सियालदह रेलवे स्टेशन से कालीघाट मंदिर तक की जो दूरी है।

वह लगभग 9 किलोमीटर की है। वहीं अगर आप हावड़ा जंक्शन पर आते हैं तो हावड़ा जंक्शन से कालीघाट मंदिर तक की जो दूरी है। वह लगभग 11.5 किलोमीटर की और दोनों ही जगहों से आपको आराम से टैक्सीस मिल जाएंगे, जो की आपको कालीघाट मंदिर तक पहुंचा देंगी।

अगर आप बस से आने की सोच रहे हैं तो आसपास के शहरों से आपको कोलकाता सियालदह, हावड़ा तक के लिए डायरेक्ट बसेस मिल जाएगी और बस स्टेशन पर उतरने के बाद आपको वहाँ से टैक्सी बुक करनी होगी। 



होटल एंव रेस्टोरेंट्स


मंदिर तक के लिए चलिए दोस्तों अब कोलकाता पहुंचने के बाद सबसे पहले आपको अपने रहने के लिए एक होटल देखना है। तो यहाँ पर मेरा सलाह आपको यह रहेगा की आप अपना होटल कालीघाट मंदिर के आस पास देखिये। 

वहाँ पर आपको होटेल्स के काफी सारे ऑप्शन्स मिल जाएंगे और बात करें अगर हम इनके कॉस्ट किमत की तो होटेल्स की स्टार्टिंग यहाँ पर 500 — 600 से हो जाती है। 

लेकिन अगर आप ठीक ठाक अच्छी फैसिलिटीज वाले होटेल्स चाहते हैं तो उसकी कॉस्ट आपको 1000 1500 तक बढ़ जाएगी। और अगर आप लग्जरी होटेल प्रिफर करते हैं, तो उनकी कॉस्ट आपको 4000 — 5000 तक बढ़ जाएगी।

अगर बात करें हम यहाँ खाने की तो यहाँ पर मोस्टली जो आपको रेस्टोरेंटस दिखेंगे। वह नॉन वेजिटेरियन रेस्टोरेंट्स होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है की यहाँ पर आपको वेजिटेरियन खाना मिलेगा ही नहीं। 

आपको यहाँ पे कुछ वेजिटेरियन रेस्ट्रॉन्ट्स भी देखने को मिल जाएंगे। आप अपनी फ्रेंड्स के अकॉर्डिंग उनमें जाके खाना खा सकते हैं और बात करें अगर हम यहाँ खाने की कॉस्ट की तो आपको यहाँ पर 100 से 150 के बीच वेज थाली आराम से मिल जाएगी।


आइये जाने दर्शन कैसे करना है


अब जानते हैं की आपको यहाँ पर दर्शन कैसे करना है, तो दोस्तों को कोलकाता में दो काली मंदिर है, एक काली घाट काली मंदिर और दूसरा दक्षिणेश्वर काली मंदिर। इन दोनों ही मंदिरों को आज लेख में मैं कवर करने वाली हूँ। 

हावड़ा से कालीघाट का रास्ता | havada se kalighat ka rasta : सम्पूर्ण यात्रा  kali ghat mandir image

तो चलिए पहले आपको लिए चलती हूँ काली घाट, काली मंदिर और वहाँ के बारे में आपको जानकारी दे देती हूँ की आपको वहाँ पर किस तरह दर्शन करने हैं। 

दोस्तों मंदिर पहुंचने के बाद सबसे पहले आपको मंदिर में चढ़ाने के लिए फूल और प्रसाद वगैरह ले लेना है और प्रसाद आपको यहीं पे मिल जायेगा यहाँ पर आपको काफी सारी दुकानें लगी हुई देखने को मिलेंगी।

जहाँ से आप फूल और प्रसाद वगैरह ले सकते हैं। लेकिन मंदिर में चढ़ावे के नाम पे ही आपको और भी काफी सारी चीजें बेचने की कोशिश कर सकते हैं तो आपको इनके साथ बहुत ही सावधानी से डील करना है। वरना यह आपका काफी लंबा चौड़ा बिल बना देंगे। 

इसके अलावा मंदिर के पास आपको कई ऐसे लोग मिलेंगे जो आपको मंदिर में दर्शन जल्दी कराने का वादा करेंगे। यहाँ पे मैं आपको बता दूँ कि इन लोगों का मंदिर अथॉरिटी से कोई लेना देना नहीं होता है। बल्कि ये लोग सिर्फ आपका पैसा लेने के चक्कर में रहते हैं।

इसलिए पैसा मांगकर दर्शन कराने वाले लोगों से यहाँ बच कर रही है। और आप यहाँ डाइरेक्टली मंदिर में जाकर दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा दोस्तों मंदिर में किसी भी तरह का मोबाइल फ़ोन, कैमरा या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ले जाना अलाउड नहीं है। तो अच्छा ऑप्शन यह रहेगा। की आप इसे अपने होटेल के रूम पे छोड़ के आये, लेकिन अगर आप होटेल के रूम पे छोड़ के नहीं आना चाहते है, आप साथ में लेके जाना चाहते हैं, तो आप कोई बैग या पर्स वगैरह कैर्री कर रहे हैं, तो आप उसमें भी रख सकते। 

लेकिन आपको ही नहीं मंदिर परिसर के अंदर यूज़ बिल्कुल नहीं करना है। और स्पेशल ली अगर आप कोई पर्स, बैग या वॉलेट वगैरह कैर्री कर रहे हैं। तो इसे लेकर आपको बहुत ज्यादा सावधान रहना, क्योंकि यहाँ पर जेबकतरे घूमते रहते है, जो कि मंदिर की भीड़भाड़ का फायदा उठाकर आप का पर्स और वॉलेट वगैरह चोरी कर सकते हैं।

तो आपको इन बातों का विशेष ध्यान रखते हुए मंदिर में प्रवेश करना है। और वहाँ पे माँ काली के दर्शन करनेदेवी काली की यहाँ टच स्टोन से बनी प्रचंड में प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में माँ काली, भगवान शिव की उपर  पैर रखे हुए नजर आ रही है और गले में नरमुंडों की माला पहने हैं। और हाथ में भी कुल्हाड़ी और नरमुंड है। 


मंदिर का खुलने और बंद  होने का समय

यह मंदिर सुबह के 5:00 बजे से दोपहर के 2:00 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है। उसके बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है। फिर शाम को 5:00 बजे से रात के 10:30 बजे तक यह मंदिर पुनः भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। 

हालांकि मंदिर में सुबह की पहली आरती 4:00 बजे होती है और भोग्या प्रसाद का समय दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक का है। लेकिन उस टाइम मंदिर का गर्भगृह, प्रार्थना या सार्वजनिक दर्शन के लिए नहीं खुला रहता है और यहाँ मंदिर परिसर में आप माँ काली के दर्शन तो कर ही सकते हैं।

इसके अलावा यहाँ और भी काफी सारे मंदिर बने हुए हैं। आप उन में भी दर्शन कर सकते हैं। जैसे की राधा कृष्ण का मंदिर, कुलेश्वर महादेव का मंदिर। नट मंदिर आपको इन सभी मंदिरों में एक एक करके दर्शन कर लेने हैं। 

इसके अलावा यहाँ मंदिर में एक कुंडूपुकर”  नाम का पवित्र तालाब है जो कि मंदिर परिसर के दक्षिण पूर्व कोने में स्थित है। इस तालाब के पानी को गंगा के समान पवित्र माना जाता है। 

ऐसा माना जाता है। यह इस पानी में हर मनोकामना को पूर्ण करने की शक्ति होती है। 


दक्षिणेश्वर काली मंदिर कैसे जाये?

अब यहाँ कालीघाट मंदिर में दर्शन करने के बाद आपको दक्षिणेश्वर काली मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना है, जिसके लिए आपको यहाँ कालीघाट मंदिर से ही 10 मिनट के वॉकिंग डिस्टैन्स पर कालीघाट मेट्रो स्टेशन देखने को मिल जायेगा। 

आपको यहाँ से मेट्रो पकड़नी है और दक्षिणेश्वर मेट्रो स्टेशन पर आपको उतर जाना है। जिसमें आपका लगभग 40-45 मिनट का समय लगेगा और दक्षिणेश्वर मेट्रो स्टेशन पर उतरने के बाद वहाँ से मंदिर परिसर तक की जो दूरी है। 

वह लगभग एक किलोमीटर की है जिसे अगर आप चाहे तो पैदल भी कवर कर सकते हैं या फिर आपको वहाँ से ऑटो रिक्शा भी मिल जाएंगे जो की आपको मंदिर परिसर तक पहुंचा देंगे। 

इसके अलावा दोस्तों इस मंदिर तक पहुंचने का जो दूसरा विकल्प है वो है। टैक्सी या कैब का अगर आप चाहे तो आप सीधे माता काली मंदिर से टैक्सी या कैब बुक करके दक्षिणेश्वर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

कोलकाता में हुगली नदी के तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर ना सिर्फ कोलकाता में बल्कि पूरे पूर्वी भारत में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। 

इस मंदिर की स्थापना 1855 में रानी रश्मिनी द्वारा की गयी थी।और यह मंदिर देवी भद्राणी को समर्पित है, जो की देवी काली का ही एक रूप है। यहाँ मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त और पर्यटक देवी भद्राणी का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।

और लगभग 25 एकड़ के विशाल क्षेत्र में स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर के निर्माण में बंगाल वास्तुकला के नवरत्न या नौ स्पेर्स शैली का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर के गर्भगृह में देवी काली की एक मूर्ति है जिसे माता भद्राणी के रूप में जाना जाता है। जो भगवान शिव जी के सीने पर खड़ी हुई हैं।

और दो अन्य मूर्तियों को चांदी से निर्मित 1000 पंखुड़ियों वाले कमल के सिंहासन पर विराजित किया गया है और यहाँ से मुख्य मंदिर के बाहर जब आप आएँगे तो वहाँ पे आपको 12 शिव मंदिरों की कतार देखने को मिलेगी।

जो कि हुगली नदी के घाट के दोनों ओर बने हुए हैं, जबकि मंदिर परिसर के उत्तर पूर्व में एक विशाल विष्णु मंदिर स्थित है। इसके अलावा इस मंदिर परिसर में और भी काफी सारे दर्शनीय स्थल और मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे। 

आप उन में भी जाकर दर्शन कर सकते हैं जैसे की आप यहाँ विजिट कर सकते हैं। नट मंदिर, गाजी ताल, कोठी बारी, बकुल ताल और पंचवटी इत्यादी।


दक्षिणेश्वर काली मंदिर समय 


और बात करें अगर हम मंदिर के टाइम इनकी तो दक्षिणेश्वर काली मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सुबह 6:00 बजे से दोपहर के 12:30 बजे तक खुला रहता है। 

इसके बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है और फिर शाम को 3:00 बजे से रात के 8:30 बजे तक फ़ोन आया भक्तों के लिए खोल दिया जाता है तो आप इस दौरान कभी भी माँ काली के दर्शन करने के लिए यहाँ जा सकते हैं।

यहाँ दर्शन करने के साथ साथ अगर आप कोलकाता में कुछ शॉपिंग का मन भी बना रहे हैं तो आपको कालीघाट मंदिर के नजदीक बहुत सारी मार्केट्स देखने को मिल जाएगी। 

जैसे कि वस्तु मार्केट, देवी मार्केट, गोपाल,ओल्ड मार्केट, चेतला मार्केट, सदर मार्केट और सिटी मार्केट आप इनमें से किसी भी मार्केट में जाकर शॉपिंग कर सकते हैं। और आप यहाँ से अपने लिए सीप के कंगन की साड़ियां, कालीघाट, पेंटिंग, टैराकोटा, आठ वर्क और दार्जिलिंग के प्रसिद्ध चाय खरीद सकते हैं। 


कितने दिन का ट्रिप प्लैन करना चाहिए


सबसे बड़ा सवाल की आपको कालीघाट के लिए कितने दिन का ट्रिप प्लैन करना चाहिए और कौन सा सबसे बेस्ट टाइम रहेगा यहाँ विजिट करने के लिए, तो 1-2 दिन की यात्रा आप के लिए पर्याप्त रहेगा।

यहाँ दोनों मंदिरों में दर्शन करने के लिए जिसमें से पहले दिन आप यहाँ पर कालीघाट मंदिर और दक्षिणेश्वर काली मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। और इसके बाद  आप यहाँ की और भी जगहों को कवर कर सकते हैं। जैसे की हावड़ा ब्रिज, बिरला मंदिर, विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता पोर्ट, ईडन गार्डन इत्यादि।

मित्रों आशा करती हू कि यह लेख आपको अच्छी लगी हो। यदि चह लेख अच्छी लगी हो तो जय मॉ काली अवश्य बाले।