आप सभी शिव भक्तों को नमस्कार है।आज हम शिव जी की आरती के बारे में जानेंगे। यदि आप भी शिव जी की अथवा किसी भी देवी देवता की पूजा पाठ करते है ...
आप सभी शिव भक्तों को नमस्कार है।आज हम शिव जी की आरती के बारे में जानेंगे। यदि आप भी शिव जी की अथवा किसी भी देवी देवता की पूजा पाठ करते है तो बगैर आरती के पूजा अधूरा माना जाता है एैसा विद्वानों का मत है। इस लिए देवों के देव महादेव शिव जी की आरती अवश्य करनी चाहिए। भगवान शिव जी की जो आरती है असल में यह ब्रम्हा विष्णु और शिव यह तीनों देवों की आरती एक ही में है। ऐसा माना जाता है कि प्रणवाक्षर के मध्य में यह तीनो एक ही है।
भगवान शिव जी की आरती shiv ji ki aarti को करने से सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती है। और महा शिव जी की कृपा बनी रहती है।
भगवान शिव जी का मंत्र
शिवपुराण में यह निम्न मंत्र वर्णित है
ॐ नमः शिवाय , नमः शिवाय,श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
यह तीनों मंत्रो अथवा आप इस तीनों में से किसी एक भी मंत्र को कम से कम 11 अथव 21 बार अवश्व जपना चाहिए यह तीनों मंत्र बहुत ही पावरफुल मंत्र है। इन मंत्रो के जप या सुनने मात्र से सभी प्रकार के रोग कष्ट दूर होते है एंव भगवान आशुतोष सदा शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
तो आइए भगवान शिव जी की आरती आरम्भ करते है।
Shiv ji ki aarti |
Shiv ji ki aarti (शिव जी की आरती)
ॐ जय शिव ओमकारा हर जय शिव ओमकारा । ब्रम्हा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ।। जय शिव ओमकारा..
एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ।। जय शिव ओमकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे । तीनों रूप निरखता त्रिभुवन मन मोहे ।। जय शिव ओमकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी । चन्दन मृगमद सोहे भाले शशिधारी ।। जय शिव ओमकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक प्रभुतादिक भूतादिक संगे ।। जय शिव ओमकारा
कर मध्य कमंडलु चक्र त्रिशुल धर्ता । जगकर्ता जगहर्ता जगपालन कर्ता।। जय शिव ओमकारा
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर के मध्ये ,ओमाक्षर के मध्ये यह तीनों एक ।। जय शिव ओमकारा
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ।। जय शिव ओमकारा
जय शिव ओमकारा स्वामी हर शिव ओमकारा ब्रम्हा विष्णु सदा शिव भोले भोले नाथ महाशिव अर्द्धांगी धारा ।। जय शिव ओमकारा ..
Shiv Ji Ki Aarti In English
Karpurgaur Karunavataram Sansara Saram
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारम् सदा वसतं हृदयारविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि
ॐ हर हर महादेव
इति श्री शिव जी की आरती सम्पूर्ण ।
12 ज्योतिर्लिंग का नाम हिंदी में 12 Jyotirlinga Name in Hindi
- केदारेश्वर जी - उत्तराखंड मे स्थित है।
- भीमाशंकर जी - महाराष्ट्र मे स्थित है।
- ओंकारेश्वर जी - मध्य प्रदेश में स्थित है।
- मल्लिकार्जुन जी - आंध्र प्रदेश मे स्थित है।
- महाकालेश्वर जी- मध्य प्रदेश में स्थित है।
- घुष्मेश्वर घृष्णेश्वर जी - महाराष्ट्र मे स्थित है।
- रामेश्वर जी- तमिलनाडु मे स्थित है।
- वैद्यनाथ जी - झारखंड मे स्थित है।
- विश्वेश्वर विश्वनाथ जी - उत्तर प्रदेश मे स्थित है।
- नागेश्वर जी- गुजरात में स्थित है।
- त्र्यंबकेश्वर जी- महाराष्ट्र मे स्थित है।
- सोमनाथ जी - गुजरात में स्थित है।
बारह ज्योतिलिंग 12 Jyotirlinga के सुबह ध्यान स्मरण करने से सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। और जीवन में सुख ,समृद्वि धन ,यश एंव एश्वर्य में वृद्वि होती है।
Shiv Ji Ki Aarti Image |
शिव जी मात्र ऐसे भगवान है जिनको आप केवल एक लोटा जल चढ़ा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है। एक लोटा जल से भगवान शिव जी की असीम कृपा प्राप्त होता है। शिव जी देवों के भी महादेव है । यह सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले महादेव है। भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है ऐसी मान्यता है कि बेलपत्रों के पत्ती में तीनों देव विराजमान होते है। ब्रम्हा विष्णु और महेश यह तीनों देवताओं का प्रतीत है।
भगवान शिव जी को मदार पुष्प भी बहुत प्रिय है। साथ ही इनको चन्दन का तिलक लगाने से रोग कष्ट से छुटकारा मिलती है।
शिव जी को गंगा जल अवश्य चढ़ाना चाहिए इससे वह बहुत जल्द प्रसन्न होते है।
शिवमहापुराण की कथा Shiv Mahapuran Ki Kahani
एक बहेलियॉ था। उसे जंगल में एक हिरण दिखाई दिया, उसने तालाब से पानी लेकर, वह शिकार की तालाश में एक बेल के वृक्ष पर बैठकर शिकार की तलाश कर रहा था। जो बेल का वृक्ष था उसके नीचे प्राचीन शिवलिंग था जो कि पत्तो से ढ़का हुआ था। उसने काफी समय तक उस वृक्ष पर बैठकर तलाश किया फिर उसने बैठे —बैठे बेलपत्र के पत्तो को तोड़ रहा था और नीचे फेंक रहा था एैसे ही और उसने जो पानी पीने के लिया था। वह जल भी गलती से नीचे जा गिरा इतने में तो देवों के देव महादेव शिव जी प्रकट हो गये यह देखकर बहेलियॉ आश्चर्यचकित रह गया। उसने हाथ जोड़कर शिव जी को प्रणाम किया। और शिव जी ने उसे प्रसन्न होकर आशिर्वाद दिया।
conclusion: जो व्यक्ति अंजाने में भी भगवान शिव जी पर बेलपत्र या जल चढ़ाता है तो भगवान शिव जी उस पर भी प्रसन्न हो जाते है।
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