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जानिये क्या है, तीन नये कानून बिल: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक

दिल्ली: अंग्रेजों द्वारा गुलामी से भरा निशान को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में अंग्रेजों द्वारा ब...

दिल्ली: अंग्रेजों द्वारा गुलामी से भरा निशान को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए आईपीसी, सीआरपीसी और इन्डियन्स एविडेंस ऐक्ट को निरस्त कर इनके स्थान पर तीन नए बिलों को बीते मॉनसून सत्र के अंतिम दिन पेश किया गया, जिन्हें गहन पड़ताल के लिए गृहकार्य संबंधी संसदीय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है। 

तीन नए कानूनों का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना और नागरिक अधिकारों की रक्षा करना होगा। तो आज के न्यूज़ में जानते हैं इन तीन नए विधेयकों के कानून बनने के बाद देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में कितना बड़ा क्रांतिकारी बदलाव आएगा?

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तीन नये कानून बिल

श्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के ऐतिहासिक फैसले से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था के आधार स्तंभ आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस ऐक्ट का न सिर्फ नाम बदलेगा बल्कि इनके स्वरूप में भी बड़ा बदलाव नजर आएगा। पुराने कानून में 475 जगहों पर मौजूद गुलामी की निशानियों वाले शब्दों को नए कानून में जगह नहीं दी गई है। 

आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता लेगी। इसमें 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, आठ नई धाराएं जोड़ी गई है और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है। 

सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लेगी, जिसमें 533 धाराएं होंगी। 160 धाराओं को बदला गया है, नौ नई धाराएं जोड़ी गई है और नौ धाराओं को हटा दिया गया है। 

इंडियन एविडेंस ऐक्ट को भारतीय साक्ष्य विधेयक रिप्लेस करेगा। इसमें 170 धारा ये होंगी। 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, एक नई धारा जोड़ी गई है और पांच धाराएं निरस्त की गई है।नए कानून में जहाँ राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त किया गया है, वहीं आतंकवाद और अलगाववादी तत्वों पर नकेल कसने के लिए ठोस प्रावधान किए गए हैं। 

मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध के लिए सख्त प्रावधान करने के साथ ही संगठित अपराधों से निपटने के लिए नई धारा जोड़ी गई है। नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ़ अपराध से निपटने पर खास ज़ोर दिया गया है। धोखा देकर महिला का शोषण करने को अपराध की श्रेणी में लाया गया है। 

सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास के प्रावधान हैं। 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ अपराध के मामले में मृत्युदंड का भी प्रावधान रखा गया है। यौन हिंसा के मामले में पीड़ित का बयान और वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है। 

बच्चों के साथ अपराध के लिए सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दी गई है। साथ ही विभिन्न अपराधों के लिए जुर्माने की राशि को मौजूदा समय के हिसाब से तर्कसंगत बनाते हुए बढ़ा दिया गया है। अपराध की आय से जुड़ी संपत्ति और घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की के प्रावधान किए गए हैं। प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर की गैरमौजूदगी में मुकदमा चलाने का नया प्रावधान किया गया है। वहीं सजा के तौर पर सर्विस की शुरुआत का भी फैसला लिया गया है।

नए कानूनों से नए युग और आधुनिकतम तकनीकों को भी जोड़ने का प्रयास किया गया है। एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज करने के प्रावधान हैं। सर्च और जब्ती के वक्त वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दिया गया है। 

सात वर्ष या इससे अधिक सजा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेन्सिक टीम की विजिट को कंपलसरी किया गया है। पहली बार ई एफआईआर का प्रावधान जोड़ा जाएगा। नए कानून में ज़ीरो एफआईआर की भी व्यवस्था है। यानी अपराध कहीं भी हुआ हो। उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा। छोटे मामलों में समरी ट्रायल का दायरा बढ़ा दिया गया है। और नए कानून में 3 साल तक की सजा वाले अपराध समरी ट्रायल में शामिल हो जाएंगे। 

आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की समय सीमा तय की गई है और परिस्थिति देखकर अदालत आगे 90 दिनों की परमिशन और दे सकेगी।तब आरोपित व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस 60 दिनों में देने के लिए बाध्य होंगे और बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर माननीय न्यायाधीश को फैसला देना होगा। 

सिविल सर्वेंट या पुलिस अधिकारी के विरुद्ध ट्रायल के लिए सरकार को 120 दिनों के अंदर अनुमति पर फैसला करना होगा, वरना इसे डीम्ड परमिशन माना जाएगा। ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। वहीं सजा माफी को भी तर्क संगत बनाया गया है। मृत्युदंड को आजीवन कारावास, आजीवन कारावास को कम से कम 7 साल की सजा और 7 साल के कारावास को कम से कम 3 साल तक की सजा में ही बदला जा सकेगा।

और किसी भी गुनाहगार को छोड़ा नहीं जाएगा। इसके अलावा एविडेन्स प्रोटेक्शन स्कीम तैयार करने और उसे नोटिफाई करने को लेकर प्रावधान भी काफी महत्वपूर्ण है। उम्मीद ​है, कि भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।