नमस्कार आप सभी का हमारें पूर्वांचल सामाचार ब्लाग में स्वागत है आज नवरात्रि का छठा दिन है इस दिन मां दुर्गा के कात्यायनी रुप की पूजा की...
नमस्कार आप सभी का हमारें पूर्वांचल सामाचार ब्लाग में स्वागत है
आज नवरात्रि का छठा दिन है इस दिन मां दुर्गा के कात्यायनी रुप की पूजा की जाती है कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है !
धर्म शास्त्रों के अनुसार मां कात्यायनी ने ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था ,इसी कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा देवी मां के इसी स्वरूप ने महिषासुर नाम के दानव का वध किया था !
इसलिए मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है पौराणिक कथा के अनुसार कात्यायन ऋषि ने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मंशा बताई देवी भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जरूर जन्म लेंगे और फिर तीनों लोग पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ गया और सभी देवी देवता से परेशान हो गए !
तब ब्रह्मा विष्णु और महेश जी के तेज से माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया इसीलिए माता के स्वरूप को कात्यायनी नाम से जाना जाता है माता के जन्म के बाद कात्यायन ऋषि ने सप्तमी अष्टमी और नवमी तीनों दिन तक मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना की इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर नामक दैत्य का वध करके तीनों लोकों से अत्याचार को खत्म कर दिया !
माता कात्यायनी का शरीर सोने की तरह सुनहरा और चमकदार है यह सिंह की सवारी करती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं मां कात्यायनी की एक हाथ में तलवार और दूसरे में अपना प्रिय पुष्प कमल लिया हुआ है उनके अन्य दो हाथ वर मुद्रा और अभय मुद्रा में है!
ज्योतिष में बृहस्पति का संबंध इनसे माना जाता है , तंत्र साधना में देवी का संबंध आज्ञा चक्र से होता है मां कात्यायनी की पूजा गोधूलि बेला में विशेष फलदाई मानी जाती है सूर्यास्त के आसपास का यह समय पूजा करने के लिए काफी अच्छा माना जाता है
माता कात्यायनी का पूजा विधि
सबसे पहले मां की पूजा के लिए सबसे पहले स्नान कर पीले रंग के वस्त्र पहने मां लाल अथवा पीली परिधान धारण करती हैंए इसलिए आप भी पूजा के समय लाल अथवा पीले रंग के वस्त्र पहने सबसे पहले घर में स्थापित मूर्ति को गंगाजल से छिड़काव कर शुद्धिकरण करें और फिर मां की प्रतिमा के आगे दीपक रखें
माता कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि करके नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं फिर देवी की तस्वीर या मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित कर दे एक हाथ में पुष्प और मां के मंत्रों का जाप करें इसके बाद फूल को मां के चरणों में चढ़ाएं देवी को लाल वस्त्र तीन हल्दी की गांठ पीले फूल और फल आदि अर्पित करें मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं इससे मां कात्यायनी प्रसन्न हो जाती है इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ मां के मंत्रों का जाप करें उनकी स्तुति करें मां कात्यायनी की स्तुति करने के लिए
"या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः "मंत्र का जाप करें सच्चे मन से जो कोई भी माता की पूजा.अर्चना करता है उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह योग बनते हैं और साथी प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं
अब हाथ में फूल लेकर मां को प्रणाम कर उनका ध्यान करें इसके बाद उन्हें पीले फूल कच्चे हल्दी की गांठ और शहद अर्पित करें
धूप दीपक से मां की आरती उतारे मां को पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें इनको शहद अर्पित करना विशेषकर शुभ माना जाता है मां को शहद बेहद प्रिय है मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं इसके बाद मां के समक्ष उनकी मंत्रों का जाप करें
माता कात्यायनी का मंत्र
ॐ कात्यायनी देवी नमः
"या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः
मां के मंत्र स्तुति का जाप करने से आपको भौतिक सुख की प्राप्ति होती है वही आध्यात्मिक अनुभव भी मिलते हैं मां कात्यायनी की आराधना बिजनेस ग्रोथ पर नौकरी में भी तरक्की दिलाती है
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