कागज का उपयोग हम किसी न प्रकार से अवश्य करते आ रहे। यह लेख विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है। भारत में कागज उद्योग का वर्...
कागज का उपयोग हम किसी न प्रकार से अवश्य करते आ रहे। यह लेख विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है।
भारत में कागज उद्योग का वर्णण किजिए।
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भारत में कागज उद्योग का वर्णण |
आज के समय में कागज प्रतिदिन उपभोग की एक महत्वपूर्ण वस्तु है। भारत में कुटीर उद्योग के अन्तर्गत कागज निर्माण 10 वीं शताब्दीमें प्रारम्भ हुआ। किन्तु संगठित रूप से कागज बनाने का प्रथम कारखाना ट्रावरकोर — केरल में स्थापित किया गया। मशीन निर्मित कागज का उत्पादन सन् 1870 में कोलकाता के पास वैली मिल की स्थापना के साथ प्रारम्भ हुआ। सन् 1951 तक देश में कागज तथा दफती की 35 मिलें हो गयीं। सन् 1996 तक कागज तथा दफती के 40 कारखाने हो गये। नेपा नगर में एकमात्र अखबारी कागज का करखाना है। आजकल 81 कारखाने हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 18 लाख मीटर टन है।
उच्च श्रेणी के पोस्टर के कागज तथा,बैंक पेपर, आफसेट कागज, आर्ट पेपर का भी उत्पादन हो रहा है।
फोटो के कागज तथा फिल्मों के कागज उटकमंड (कोयम्बटूर) में बन रहा है।
कागज उद्योग के लिए कच्चा माल
- कागज के लिए मुलायम लकड़ी की आवश्यकता होती है। जो हिमालय के भाग में प्रचुर मात्रा में उपल्बध है। किन्तु परिवहन की असुविधा के फलस्वरूप लकड़ी प्राप्त करने में अत्याधिक कठिनाई है। बॉंस,सवाई,हाथी घास, गन्नेकी खोई तथा फटे—पुराने कपड़े का अधिक प्रयोग होता है।
- इसके लिए रासायनिक पदार्थो की अधिक आवश्यकता पड़ती है। इनमें गन्धक का अम्ल एंव कास्टिक सोडा का आयात विदशों से करना पड़ती है। यही इस उद्योग के समक्ष गम्भीर समस्या है।