google.com, pub-8818714921397710, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Desi Kahani: बनिये और जमींदार की कहानी | Moral Stories In Hindi | Why Are Baniyas Rich - देसी कहानी - Purvanchal samachar - पूर्वांचल समाचार

Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

ads

Desi Kahani: बनिये और जमींदार की कहानी | Moral Stories In Hindi | Why Are Baniyas Rich - देसी कहानी

 Desi Kahani:  एक बार एक जमींदार का घोड़ा बीमार हो गया। जमींदार ने सोचा, बनिये के पास बहुत पैसा है, ज़रा उसे चूना लगाया जाए। वह बनिये के पास ग...

 Desi Kahani: एक बार एक जमींदार का घोड़ा बीमार हो गया। जमींदार ने सोचा, बनिये के पास बहुत पैसा है, ज़रा उसे चूना लगाया जाए। वह बनिये के पास गया और बोला भाई मुझे पैसों की जरूरत है, तुम मेरा घोड़ा खरीद लो और पैसे दे दो, मैं केवल ₹1000 में घोड़ा दे दूंगा। 

Desi Kahani: बनिये और जमींदार की कहानी | Moral Stories In Hindi | Why Are Baniyas Rich? - देसी कहानी - रोचक कहानियॉं rochak kahaniya in hindi
Desi Kahani


बनिया बोले, अरे भाई साहब मेरे पास तो केवल 500 ही है, देना है तो बोलो। जमींदार को यह भाव सही नहीं लगा और वो वापस घर चला गया।

घर जाते ही उसने देखा कि उसका घोड़ा तो मर चुका है, वह फौरन बनिया के पास गया और बोला ठीक है, मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर। बनियों ने उसे 500 दिए और ज़मींदार वो पैसे लेकर कुछ दिनों के लिए गांव से बाहर चला गया। कुछ महीनों के बाद जब वो गांव वापस आया तो उसने देखा कि बनिये की दुकान और बड़ी हो गयी है। वो सोच रहा था।

बनिया उसे गालियां देगा। लेकिन ने कहा भाई आओ कैसे हो कुछ चाय पानी ले लो। ज़मींदार हैरान हो गया। उसने बनिये से पूछा ये सब कैसे हुआ? बनियान ने कहा आप का ही दिया हुआ है सब कुछ। ज़मींदार बोला पर मेहनत तो तुम्हे मरा हुआ घोड़ा बेचा था।

बनिया बोला, मैंने उस मरे हुए घोड़े से 10,000 कमा लिए, ज़मींदार हैरान रह गया। बनिये ने कहा, मैंने एक लॉटरी का विज्ञापन दिया कि जो जीतेगा मैं उसे ₹1 में घोड़ा दूंगा। बहुत से लोग लॉटरी खरीदने आए और लॉटरी की टिकट बेचकर मैंने 10,000 कमाए। ज़मींदार ने पूछा अरे तो विजेता को क्या दिया? घोड़ा तो मरा हुआ था। 

बनिये ने कहा, विजेता को मैंने उसके टिकट का दाम यानी कि ₹10 और ₹1 एक्स्ट्रा, जो उसने घोड़ा खरीदने के लिए दिए थे। वो वापस कर दिया और कहा कि घोड़ा इलाज के दौरान मर गया। तुम्हारा जो भी में नुकसान हुआ है। वो वापस ले लो, वो भी खुश, मैं भी खुश लगभग ₹1500 लगाकर मैंने 10,000 कमा लिया। 

मित्रों इस Desi Kahani के माध्यम से आप लोग बहुत ही अच्छे से समझ गये होंगे। कि बनिये इतने अमीर इस लिए होते है।

निष्कर्ष: बिना पैसे से, अपने मेहनत और बुद्वि के द्वारा यह लोग पैसा बनाते है।


दूसरा कहानी 


चींटी और कबूतर की कहानी  (Moral Stories In Hindi)

चींटी और चिड़ियॉं एक समय की बात है। पेड़ पर से एक चींटी तालाब में गिर गई। वह अपना जीवन बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही थी। यह सब एक चिड़ियॉं देख रही थी। तभी उसके मन में यह विचार आया, कि क्यों न इस चींटी की जान बचाई जाय। उसने एक पत्ते को तोड़ा और चींटी के पास फेंक दिया। चींटी झट से पत्ते पर चढ़ गई और बड़ी कृतज्ञता भरी नजरों से उसने चिड़ियॉं का धन्यवाद किया। उसने चिड़ियॉं से बोली मैं बहुत थक गयी थी। आपने मेरी सहायता कर, मेरी जान बचायी।

desi kahani  चींटी और कबूतर की कहानी  (Moral Stories In Hindi),रोचक कहानियॉं rochak kahaniya in hindi
Moral Stories In Hindi

कुछ सप्ताहों बाद की बात है। एक बहेलिया जंगल में आया बहेलियों का तो काम ही होता है। पक्षियों को पकड़ना। उसने कुछ दाने जमीन पर फेंके और उस पर अपना जाल बिछा दिया। वह चुपचाप किसी पक्षी के जाल में फंसने का इंतज़ार कर रहा था। 

वह चींटी जो वही कहीं से गुजर रही थी। उसने जब वह सारी तैयारी देखी तो क्या देखती है, की वही चिड़ियॉं जिसने उसकी जान बचाई थी। उड़कर उसी जाल में फंसने के लिए धीरे धीरे नीचे उतर रहा थी। चींटी ने एकदम आगे बढ़, बहेलीया के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया, की बहेलिया के मुँह से  जोर से चीख निकल गई। 

चिड़ियॉं दूसरी दिशा में उड़ गयी और उसकी जान बच गई। चींटी भी अपने काम पर चली गयी।

निष्कर्ष: यदि आप किसी के लिए अच्छा करते है, तो वही भी आपके सदैव हितों के लिए ही कार्य करता है। 


तीसरी कहानी

वैज्ञानिक और ​टिड्डे की कहानी यह सुनकर आपका दिमाग खुल जायेगा। Rochak Kahaniya In Hindi


एक बार एक वैज्ञानिक ने एक टिड्डे को पकड़ा और उसे अपनी आवाज पर छलांग लगाना सिखाया। वैज्ञानिक टिड्डे से कहता है। कूदो, वैज्ञानिक की आवाज सुनकर टिड्डा ज़ोर से छलांग लगा देता। अब वह वैज्ञानिक था, तो प्रयोग करना तो बनता ही था।

उन्होंने की छलांग पर प्रयोग किया। वैज्ञानिक ने उसकी एक टांग तोड़ दी और फिर बोला कूदो, अब टिड्डे की छलांग की दूरी कम हो गई। वैज्ञानिक ने उसकी दूसरी टांग तोड़ दी और फिर बोला कूदो, टिड्डे की छलांग और कम हो गई।

फिर वैज्ञानिक ने उसकी तिसरी टांग तोड़ दी और बोला कूदो, टिड्डे की छलांग की दूरी और कम हो गई। एक—एक करके बेचारे टिड्डे की सारी टांगे तोड़ दी गई। अब आखरी टांग टूटने पर जब उससे कहा गया कूदो, तो वह हिल भी नहीं पाया।

अब वैज्ञानिक ने अपना निष्कर्ष अपनी डायरी में लिखा। 

आप जानते हो उस ने क्या लिखा? उसने लिखा— जब टिड्डे की एक टांग तोड़ी गई तो वह थोड़ा बहरा हो गया। जब उसकी दूसरी टांग तोड़ी गई तो वह और बहरा हो गया। हर टांग टूटने के साथ तो वह और बहरा होता गया। और सारी टांग टूटने के बाद वह बिल्कुल बहरा हो गया। 

ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। वह तो अपनी जगह से हिला तक भी नहीं छलांग लगाना तो दूर की बात थी।

इस कहानी को सुनकर सभी को ऐसा ही लग रहा है ना, की क्या मूर्ख वैज्ञानिक था। इतनी सीधी सी बात उसे समझ नहीं आयी। या कुछ लोग यह भी सोच रहे होंगे की यह तो किसी बच्चे को भी पता होगा की टिड्डे की छलांग उसकी टांग टूटने की वजह से कम होती जा रही थी। ना की वह बेहरा हो गया था।

पर दोस्तों, हम सभी जीवन में कई बार ऐसे ही मूर्ख बन जाते हैं। कई बार जीवन में दो घटनाएं एक साथ ऐसे घटती है। असल में उनका एक दूसरे से कोई संबंध होता ही नहीं फिर भी ऐसा लगता है, कि गहरा संबंध है। 

कभी—कभी दिखता कुछ और है। हमें समझ कुछ और आता है। और वास्तव में होता कुछ और है। इसीलिए अगर पछताना नहीं है। तो जीवन में जल्दबाजी में कोई निर्णय ना लें। 
निष्कर्ष: हमेशा समझ बूझ कर निर्णय ले, सावधानी बरतें। नतीजे सोच विचार कर ही निकालें।