नमस्कार मित्रों आज हम हेलो का जापानी में अनुवाद और जापानी भाषा के बारे में जानेंगे। और इसके साथ ही जापानी कहानी का भी आनंद उठाएंगे। हेलो क...
नमस्कार मित्रों आज हम हेलो का जापानी में अनुवाद और जापानी भाषा के बारे में जानेंगे। और इसके साथ ही जापानी कहानी का भी आनंद उठाएंगे।
हेलो का जापानी में अनुवाद
हेलो का जापानी में अनुवाद को こんにちは ( Kon'nichiwa) कहते है।जापानी भाषा में बाय को さよなら Sayonara कहते है।
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हेलो का जापानी में अनुवाद |
12 महीना का जापानी में अनुवाद
जापनी भाषा में 12 महीना का नाम निम्न है।
- जनवरी — 1 月 (1gatsu)
- फरवरी — 2 月 (2gatsu)
- मार्च — 3 月 (3gatsu)
- अप्रेल — 4 月 (4gatsu)
- मई — 5 月 (5gatsu)
- जून — 6 月 (6gatsu)
- जुलाई — 7 月 (7gatsu)
- अगस्त — 8 月 (8gatsu)
- सितम्बर — 9月 (9gatsu)
- अक्टूबर — 10月 (10gatsu)
- नवम्बर — 1月 (11gatsu)
- दिसम्बर — 12月 (12gatsu)
जापानी भाषा में सप्ताह के सातों दिन को क्या कहते है?
जापानी भाषा में सप्ताह के सात दिन का नाम कुछ इस प्रकार से है।
सोमवार — 月曜日 getsuyobi
मंगलवार — 火曜日 kayobi
बुधवार — 水曜日 suiyobi
गुरूवार — 木曜日 mokuyobi
शुक्रवार — 金曜日 kinyobi
शनिवार — 土曜日 doyobi
रविवार — 日曜日 nichiyobi
नमस्ते को जापानी में क्या कहते हैं
नमस्ते को जापानी भाषा में こんにちは! Kon'nichiwa! कहते है। और जब आप पहली बार किसी से मिलते है, तो haji me mashite बोलेंगे।
जापानी में जानवरों के नाम
शेर — ライオン Raion
भालू — クマ Kuma
लोमड़ी — 狐 Kitsune
कुत्ता — 犬 Inu
हाथी — 象 Zō
जापानी में पक्षियों के नाम
मोर — 孔雀 Kujaku
कौवा — カラス Karasu
कबूतर — 鳩 Hato
हंस — 白鳥 Hakuchō
गौरैया — スズメ Suzume
जापान का उदय
अगर 19 वीं शताब्दी से पहले के जापान की बात करें तो जापानी समाज पिछड़ा व मध्यकालीन था। उसमें आधुनिकता का बीज अभी तक नहीं फूटा था।
उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में प्रशांत महासागर में यूरोपीय की हलचलें शुरू हो गई थी। जापान के समुद्र में रूसी, ब्रिटेन आदि देशों के जहाजों का आवागमन बड़े पैमाने पर हो रहा था।
उस समय जापान का सम्राट नाम मात्र का शासनाध्यक्ष था और असली सत्ता सैनिक नेताओं के हाथ में थी। यह सैनिक नेता जापान में सदियों से ऊंचे ओहदों पर विराजमान थे।और इन्हें शो गुल कहा जाता था।
जब जापान ने यूरोपीय द्वारा की जा रही समुद्री गतिविधियों को गंभीरता से लेना शुरू किया तो 1825 में जापान द्वारा विदेशियों के जापानी धरती पर प्रवेश पर रोक लगा दी गई।
क्योंकि वे यूरोपीय द्वारा दुनिया के तमाम कोनों पर कब्जा की गई कॉलोनियों के बारे में जानते थे। उनका ये शक तब और पुख्ता हो गया जब उनके पड़ोसी देश चीन में पहला अफ़ीम युद्ध हो गया। और इस युद्ध में चीन को यूरोपीय के हाथों पराजित होना पड़ा।
यह जापान के लिए एक चेतावनी की तरह था।जापान ने यूरोपीय शक्तियां से बचने का भरसक प्रयास किया। किंतु वह अधिक दिनों तक विदेशी अतिक्रमण से बच नहीं पाया।उन्नीसवीं सदी के मध्य तक आते आते अमेरिका भी प्रशांत महासागर में रुचि लेने लगा था। और 1853 में एक अमेरिकी कमांडर पेरी अपने नौसैनिक बेड़े को लेकर जापान के समुद्र में पहुँच गया। और जापान को युद्ध की धमकी दे डाली मजबूरन युद्ध को टालने की खातिर जापान ने अपने दो बंदरगाह अमेरिकी जहाजों के लिए खोल दिए।
और यहीं से जापानी धरती पर विदेशियों के अतिक्रमण की शुरुआत होती है। इसके बाद एक के बाद एक कई यूरोपीय देशों ने जापान के साथ संधी करके जापान में प्रवेश कर लिया।
सन 1864 में यूरोपीय ने जापान के दो शहरों पर बमबारी करके अपनी सैनिक श्रेष्ठता का प्रदर्शन जापान पर किया। और धीरे धीरे जापान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने लगे। 1868 में शोगुन का शासन समाप्त कर दिया गया। और जापान के सम्राट को कठपुतली बनाकर यूरोपीय ने वापस से सत्ता उसके हाथों में दे दी।
जापान के इस नए सम्राट ने मेईजी, की उपाधि धारण की थी और इस घटना को इतिहास में यानी मेईजी, पुनर्प्रतिष्ठा कहा जाता है। जापान अब पूर्ण रूप से पाश्चात्य देशों के संपर्क में आ चुका था। इन देशों के संपर्क में आने के बाद, जापान के लोगों ने यह देखा कि यह यूरोपीय लोग बहुत उन्नत थे। और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे थे।
जापानियों ने भी अब यूरोपीय की तर्ज पर पाश्चात्य सभ्यता को अपनाना शुरू कर दिया।जिसके फलस्वरूप जापान में भी एक जागरण काल देखने को मिला।जिसने जापान के आधुनिकीकरण का पृष्ठ आधार तैयार कर दिया। शुरुआती दौर में जापान ने अपना आधुनिकीकरण आत्मरक्षा के उद्देश्य से किया था, क्योंकि जापानी समझ चुका था कि जब तक वह स्वयं को यूरोपीय के समकक्ष नहीं बना लेता तब तक यूरोप उसे चैन से नहीं जीने देंगे।
19 उन्नीसवीं सदी के अंत तक जापान में औद्योगीकरण की दौड़ में खुद को शामिल कर लिया और उसने सुनियोजित तरह से अपनी आर्थिक विकास का खाका तैयार कर लिया। इसके तहत जापान ने मुद्रा बैंकिंग व्यवस्था का तेजी से विकास किया।कोयले की खानें जलाई।
उद्योग मंत्रालय की स्थापना की, सीमेंट और लोहे के कारखाने लगवाएं, साथ ही यातायात के साधनों का तेजी से विकास किया।जापान ने पश्चिमी ढंग से जलयान तैयार किए। और बिना यूरोपीय की मदद के भाप से चलने वाले जल इयान बनाएँ।
इसके साथ ही जापान ने रेलवे स् और डाक व तार का भी विकास किया।जापान में जब औद्योगीकरण बढ़ने लगा तो उद्योग धंधे चलाने के लिए जापान को कच्चे माल की आवश्यकता महसूस होने लगी। और फिर उस बने हुए माल के लिए बाजार भी तो चाहिए थे।क्योंकि जापान एक छोटा सा देश है और उसके संसाधन अत्यंत सीमित है।
इसलिए जापान को भी अब यूरोपीय की तर्ज पर नए बाजारों की तलाश होने लगी।और यहीं से जापान के इतिहास में एक नया अध्याय प्रारम्भ हुआ। वो था, साम्राज्यवाद जापान अब अपनी सीमाएं बढ़ाना चाहता था, जिसके लिए उसने अपनी सेना का सशक्तिकरण करना शुरू कर दिया।
अपनी सैनिक शक्ति को मजबूत करके जापान ने 1895 में चीन के खिलाफ़ लड़ाई छेड़ दी और चीन को हराकर फारमोसा आइलैंड यानी ताइवान को अपने आप में मिला लिया।
इसके बाद जापान ने चीन द्वारा कोरिया के ऊपर किए जाने वाले दावे को छोड़ने पर मजबूर कर दिया और कोरिया को स्वतंत्र घोषित करवा लिया और आगे चलकर 1905 में कोरिया को अपना संरक्षित राज्य बना दिया।
सन 1902 में जापान ने ब्रिटेन के साथ मित्रता की संधि कर ली और इस तरह जापान यूरोपीय शक्तियां के साथ बराबरी करने वाला पहला एशियाई देश बन गया। 1904 में दक्षिण मंचूरिया को लेकर जापान ने रूस के साथ युद्ध किया और रूस को भी पराजित कर दिया।
और दक्षिण मंचूरिया को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले लिया।और कुछ इस तरह से जापान उस समय का एक मात्र ऐसा एशियाई देश था, जो साम्राज्यवादी नीतियों के तहत अपनी साम्राज्य को बढ़ाने लगा।
रूस को हराकर उसने यह साबित कर दिया था कि कोई भी गैर गोरा एशियाई देश यूरोपीय की बड़े देशों को पराजित कर सकता है। जापान की इस जीत का असर पूरे विश्व के तमाम उन देशों पर हुआ जिन पर यूरोपीय का कब्जा था। और भारत भी उनमें से एक था।
जापान का अब एक महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आना इस बात का संकेत था कि विषय में यूरोपीय का बोलबाला अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला है। और कुछ इस तरह से जापान विश्व पटल पर एक पिछड़े देश से उभरकर एक आधुनिक शक्ति बन गया।
जापान की कुछ रोचक जानकारियॉ
जब भी जापान का नाम आता है तो सभी के दिमाग में जापान की छवि के मामले में सबसे आगे रहने वाले देश के रूप में होती है, जो अपन सबसे विकसित देशों में से एक माना जाता है। और बहुत कम ही देश ऐसे हैं जो जापान को टेक्नोलॉजी के मामले में दे सकते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप आदि जब आती है तो टेक्नोलॉजी की कोई भी ताकत ढेर हो जाती है। लेकिन फिर भी जापान एक ऐसा देश है जहाँ औसतन प्रतिवर्ष करीब 1500 भूकंप आती है।
लेकिन फिर भी यहाँ के घर इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बनाई गई है। जिससे उनपर भूकंप का कोई असर नहीं होता। 1854 में जापानी पश्चिमी देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित किया था।
इलेक्ट्रॉनिक्स विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व बाजार में जापान का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह इन क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए सबसे बड़ा बजट खर्च करता है। करीब 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक जापान में शोधकर्ता 6,77,731 के आसपास है।
एशिया में जापान एकमात्र देश है। जिसे सबसे अधिक नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। यह सबसे बड़ा संकेत है जापान की टेक्नोलॉजी के विकास का। जापान दुनिया का एकमात्र देश है जिसमें सोनी, कैनन, पैनासोनिक, फुजिटसु शाप, हिताची, एनईसी ऑप्शन और तोशिबा जैसी सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हैं।
इसके बाद हॉन्डा, मज़्दा, निसान, टोयोटा, निनटेन्डो, मित्सुबिशी और सुबारु अन्य क्षेत्रों में भी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में जाना जाता है। जापान की नवाचार रसायन, रोबॉटिक्स, धातु और अर्द्ध कंडक्टर के क्षेत्र में भी पाया जाता है।जापान की अमेज़िंग क्वालिटी को इस तथ्य से समझा जा सकता है, कि जापान में दुनिया में आधे से अधिक टेक्नोलॉजी रोबोट की है।
इसका मतलब है की उपलब्धि 7,42,500 रोबोटों में लगभग 4,02,200 दुनिया के सबसे बड़े मोटर वाहन निर्माताओं में से छे जापान से है।और दुनिया के साथ सबसे बड़े अर्थ कंडक्टर बिक्री कंपनीयां है।
रेल परिवहन में जापान में दुनिया की सबसे मोस्ट एडवांस्ड ट्रेनी है, जो की आज की तारीख में परिवहन की सबसे अमेज़िंग टेक्नोलॉजी है। दुनिया की सबसे तेज ट्रेन मैग्लेव ट्रेन 581 किलोमीटर प्रति घंटे की गति है।
यह सामान्य बात है, जापान भी अंतरिक्ष पर नियंत्रण करता है। जापान एरोस्पेस ऐंड एक्सप्लोरेशन एजेंसी जापान के अंतरिक्ष संबंधी सबसे अच्छा अनुसंधान और विकास का आधार और कारण है।
यह रॉकेट के विकास में उत्कृष्टता प्राप्त हुई है और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए, इसका योगदान प्रशंसनीय है। यह सारा का सारा श्रेय जाता है जापान की संवैधानिक व्यवस्था, शिक्षण व्यवस्था और लोगों की क्रिएटिविटी को, जो जापान की टेक्नोलॉजी विकसित करने की बुलंदियों पर लेकर गई है।
अगर हम चाहे तो भारत में भी युवको को क्रिएटिव बनाकर टेक्नोलॉजी को विकसित करने में सक्षम हो सकते हैं।क्योंकि जापान ज्यादा आयातित ईंधन पर निर्भर है, इसलिए परमाणु ऊर्जा जापान की प्राथमिकता बन गई है। वर्तमान में जापान दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा है और इसमें अब तक 55 परमाणु रिऐक्टर हैं।
वह जापान को 35% बिजली प्रदान करते हैं। ये जानना आश्चर्यजनक है।की जापान इन प्रोद्योगिकियों के साथ कैसे व्यवहार करता है वास्तव में जापान ने मान्यता दी है कि अपनी आर्थिक ताकत बनाए रखने के लिए इसे अपनी प्रौद्योगिकी को अग्रिम करना होगा।
जापान एक वस्तु के रूप में टेक्नोलॉजी को नहीं देखते हैं। उन्हें एहसास है की यह एक सामरिक संपत्ति है।
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जापानी में good night को क्या कहते है?
जापानी भाषा में good night को おやすみ Oyasumi कहते है।
जापानी में good evening को क्या कहते है?
जापानी भाषा में good evening को こんばんは Konbanwa कहते है।