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जगन्नाथ रथ यात्रा : क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा? - पूर्वांचल समाचार

जगन्नाथ रथ यात्रा   विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ जी की पवित्र रथ यात्रा शुरू हो चुकी है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल या...

जगन्नाथ रथ यात्रा  

विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ जी की पवित्र रथ यात्रा शुरू हो चुकी है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल यात्रा आसाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होकर, आसाढ़  शुक्ल की दशमी तक चलती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा : क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा? - पूर्वांचल समाचार imageजगन्नाथ रथ यात्रा : क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा? - पूर्वांचल समाचार
Jagannath Rath Yatra 


जगन्नाथ रथ यात्रा के शुभ अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एंव साथ ही महामहिम राष्ट्रपति महोदया,उपराष्टपति द्वारा शुभकामनाए दी गयी।


श्री नरेंद्र  मोदी ने भारतीय संस्कृति में रथ यात्रा के महत्व पर एक वीडियो भी साझा किया है।


प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा,


“रथ यात्रा की सभी को बधाई। जैसा कि हम इस पवित्र अवसर का उत्सव मना रहे हैं, भगवान जगन्नाथ की दिव्य यात्रा हमारे जीवन को स्वास्थ्य, खुशी और आध्यात्मिक समृद्धि से भर दे।


 इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं। उनके साथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी होते हैं। भगवान जगन्नाथ की यात्रा पूरी के मंदिर से निकलते हुए गुंडीचा मंदिर जाती है।


 इस गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों ही आसाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तक रुकते हैं। फिर उसके बाद वापस पूरी के मंदिर में वापस लौटते हैं। पवित्र र​थ यात्रा को देखने के लिए भगवान जगन्नाथ जी का आशीर्वाद पाने के लिए,  दुनिया,देश से भक्त बड़ी संख्या में पूरी आते हैं।


दरअसल इस सड़क के पीछे एक पौराणिक मान्यता है, जिसके अनुसार तो आप पर युग में भगवान श्रीकृष्ण से उनकी बहन सुभद्रा ने द्वारका देखने की इच्छा की थी तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बहन की इस इच्छा को पूरा करने के लिए सुभद्रा और बलभद्र को रथ पर बैठाकर द्वारका की यात्रा करवाई थी।


 इस तरह से हर साल भगवान जगन्नाथ के संग बलभद्र और सुभद्रा की रथयात्रा निकाली जाती है। 


चलिए आपको जगन्नाथ मंदिर के बारे में कुछ चौंका देने वाली बातें भी बताते हैं। दरअसल भगवान जगन्नाथ के मंदिर का ऊपरी हिस्सा यानी गुंबद विज्ञान की इस नियम को चुनौती देता है।


 और मंदिर के गुम्बद की परछाई नहीं पड़ती क्योंकि दिन के किसी भी वक्त।उसकी परछाई नजर ही नहीं आती। समुद्री इलाकों में हवा का बहाव दिन के वक्त समुद्र से धरती की तरफ होता है।


 जबकि शाम को उसका रूप बदल जाता है। इसीलिए यहाँ पर उलटी हवा बहती है। हवा धरती समुद्र की ओर बहने लगती है लेकिन यहाँ चमत्कार है। कि हवा दिन में धरती से समुद्र की ओर और शाम को समुद्र से धरती की ओर बहती है। 


वहीं पुरी के जगन्नाथ मंदिर के बारे में एक और चौंकाने वाली बात है कि इस मंदिर के ऊपर से कभी कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता। इसके अलावा इसके ऊपर कोई भी हवाई जहाज नहीं गुजरता। 


ऐसी ही कुछ और भी बातें हैं जो जगन्नाथ पुरी मंदिर को लेकर कही जाती है।हालांकि आज धूमधाम से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है। 


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