France: फ्रांस के कई शहरों में कुछ दिनों से जबरदस्त हिंसा का दौर जारी है। हालात यहाँ तक बेकाबू हो चूके हैं कि फ्रांस के मार्सिले शहर में ...
France: फ्रांस के कई शहरों में कुछ दिनों से जबरदस्त हिंसा का दौर जारी है। हालात यहाँ तक बेकाबू हो चूके हैं कि फ्रांस के मार्सिले शहर में सबसे पुरानी लाइब्रेरी में आग लगा दी गई और इस आग में 10,00,000 किताबें जलकर खाक हो गई है। अब तक करीब 450 से ज्यादा दंगाइयों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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अंतरराष्ट्रीय समाचार |
जिस देश की राजधानी को फैशन की राजधानी का नाम मिला हो। उस देश की ऐसी दशा देख किसी का भी दिल दहल जाए। फ्रांस के अलग अलग हिस्सों में इन दिनों ऐसी हिंसा हो रही है। कि हर कोई हैरान है। जलते हुए फ्रांस की तस्वीरें देखिये हिंसा कर रहे लोग कम से कम 2000 कार को आग के हवाले कर चूके है। ऐसा नहीं है कि निशाना सिर्फ इन कारों को बनाया गया है। दंगाइयों को बाजार में जहाँ मौका मिला दुकानें लूट ली। हिंसा की इस आग की चपेट में 492 घर भी आ चूके हैं।
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए प्रशासन के पसीने छूट गए। हालात काबू करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती कर दी गई है। पेरिस में करीब 5000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। अब सवाल यह उठता है की यह आग क्यों भड़की और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
दरअसल इस आग के पीछे फ्रांस के शहर नानतेरे में एक शरणार्थी किशोर पर पुलिस की चलाई गई गोली है। ट्रैफिक पुलिस ने इस लड़के को रोकना चाहा, लेकिन यह नहीं रुका। इसके बाद ट्रैफिक पुलिस ने लड़के पर नजदीक से गोली चला दी। लड़के की मौत हो गई, लेकिन फ्रांस भभक उठा। हालांकि इस घटना के पीछे भी सोशल मीडिया में अलग अलग बातें हो रही है।
पहले पुलिस ने दावा किया कि कार के टायर पर फायर करने के दौरान चालक को गोली लगी। हालांकि बाद में वायरल हुए वीडियो ने पुलिस को कार के दरवाजे से गोली चलाते हुए दिखाया।इस घटना के बाद सबसे पहले पेरिस में हिंसक विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई। जिसने पूरे फ्रांस को चपेट में ले लिया।
गुस्साएं लोग आरोपी पुलिसकर्मी को सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।इस बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कैबिनेट की आपातकालीन बैठक की। इसमें शामिल होने के लिए फ्रांसीसी प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने कहा कि आपातकालीन कैबिनेट बैठक का उद्देश्य शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए सभी विकल्पों की समीक्षा करना था।
उन्होंने ये भी बताया कि इसमें फ्रांस में आपातकाल की परिस्थितियों पर भी चर्चा शामिल थी।बहरहाल, फ्रांस में 17 साल के लड़के की पुलिस की गोलीबारी में मौत के बाद हिंसा चौथे दिन भी जारी है। यह पहला मौका नहीं है जब फ्रांस ने अपनी जनता के गुस्से का सामना किया। लेकिन अब इसे रोकना ही बड़ी चुनौती है।