google.com, pub-8818714921397710, DIRECT, f08c47fec0942fa0 महंगाई से राहत! एक साल में खाद्य तेल की कीमतों में काफी हद तक गिरावट - Edible Oil Price - Purvanchal samachar - पूर्वांचल समाचार

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महंगाई से राहत! एक साल में खाद्य तेल की कीमतों में काफी हद तक गिरावट - Edible Oil Price

सुधि पाठकों को नमस्कार, आप सभी का पूर्वांचल समाचार ब्लाग पर स्वागत है। आज हम इस लेख में बात करेंगे खाने के तेल की,खाने के तेल की बात इसलिए ...

सुधि पाठकों को नमस्कार, आप सभी का पूर्वांचल समाचार ब्लाग पर स्वागत है। आज हम इस लेख में बात करेंगे खाने के तेल की,खाने के तेल की बात इसलिए क्योंकि महंगाई के मोर्चे पर भले ही चौतरफा चिंता बनी हुई हो, लेकिन खाने के तेल के मोर्चे पर बहुत राहत मिली है। और खाने का तेल डटकर महंगाई का मुकाबला कर रहा है। तो आज हम आपको डिटेल में बताएंगे कि पिछले 1 साल में खाने के तेल की कीमतें कितनी कम हुई है। और आगे कम होने की कितनी संभावना बनी हुई है।

महंगाई से राहत! एक साल में खाद्य तेल की कीमतों में काफी हद तक गिरावट - Edible Oil Price image
Edible Oil Price

सबसे पहले ज़रा आंकड़ों के जरिए आप समझिए कि खाने के तेल के दाम किस तरह से कम हुए हैं। साल भर में रिफाइंड सूरजमुखी तेल का भाव करीब करीब 30% घटा है। 1 साल में रिफाइन्ड सोया तेल का भाव 20% कम हुआ है। 

1 साल में आरबीडी पामोलीन का भाव करीब करीब 25% कम हुआ है और आप देखिये कि सोया तेल का भाव जुलाई 2022 में ₹130 था, जो मैं एवरेज प्राइस आपको बता रहा हूँ। प्रति लीटर था, जो अब घटकर ₹160 प्रति लीटर था, जो अब घटकर ₹130 प्रति लीटर हो गया है। 

सूरजमुखी का भाव ₹183 प्रति लीटर था, वह अब  घटकर ₹129 लीटर हो गया है। और पाम तेल का भाव ₹140 प्रति लीटर से घटकर ₹103 प्रति लीटर के आसपास पहुँच गया है। और सरसों तेल का भाव ₹175 प्रति लीटर से।घटकर ₹150 प्रति लीटर के नीचे आ गया है, तो यह आंकड़े हैं, की किस तरह से खाने के तेल के दाम पिछले 1 साल में कम हुए हैं। 

अब सवाल यह है, कि खाने के तेल के दाम का उपयोग कम हुए हैं तो खाने के तेल की कीमतों में गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है, कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम हुए और क्योंकि भारत एक बड़ा इंपोर्टर है। हम हमारी जितनी खपत है। उसका करीब करीब 70% हम इंपोर्ट करते हैं। 

लिहाजा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जो दाम घटे उसका एक बड़ा इन्फैक्ट हमारी इंपोर्ट पर पड़ा इम्पोर्ट सस्ता होगा और घरेलू बाजार में भी दाम कम हुए। दूसरी बड़ी वजह यह है, कि जो डोमेस्टिक सप्लाइ हैं। तिलहन की वह काफी बेहतर है और आप देखिये कि जो दो मेजर क्रॉप है, ऑइल फील्ड के उसका उत्पादन बढ़ा है। और सोयाबीन का उत्पादन 2022 — 23 में 100 24,00,000 टन के आसपास हुआ है जो कि 21—22 में 100 10,00,000 टन के आसपास था। 

सरसों का उत्पादन भी 5,00,000 टन बढ़ा है। 100 20,00,000 टन से बढ़कर 100 25,00,000 टन तो तिलहन का उत्पादन बढ़ा है। एक बड़ी वजह है इंपोर्ट ड्यूटी लोअर लेवल के आसपास बनी रही। 

सरकार ने कई बार ड्यूटी घटाई भी उसका भी इम्पैक्ट हमने प्राइस के ऊपर देखा हैं। और इंपोर्ट ड्यूटी घटने के साथ साथ इम्पोर्ट में भी बड़ा इजाफा हुआ है। इंपोर्ट के आंकड़ों को ज़रा आप देखिए, मार्च 2023 में 11,36,000 टन का इम्पोर्ट हुआ था। अप्रैल में 10,50,000 टन का इम्पोर्ट हुआ। मई में 10.5 10,00,000 टन के आसपास का इम्पोर्ट हुआ, लेकिन उसके बादजून में एक बड़ा जम्प आया और जून में 13,00,000 टन से ज्यादा का इम्पोर्ट हुआ है। 

डबल ऑइल का और जुलाई के महीने में रिकॉर्ड इम्पोर्ट होने का अनुमान है और 18,50,000 टन से ज्यादा इंपोर्ट की संभावना जताई जा रही है, जो कि अब तक का रिकॉर्ड होगा। अगर इतना इम्पोर्ट होता है तो लिहाजा आप इम्पोर्ट ज्यादा है औरडोमेस्टिक सप्लाई बेहतर है तो ये कुछ वजह हैं जिससे खाने के तेल के दाम कम हुए हैं और इन्हीं वजहों के दम पर यह माना जा रहा है। कि आगे भी कीमतों में कुछ कमी आ सकती है। रीटेल में कुछ दाम और कम हो सकते हैं। क्योंकि डोमेस्टिक सप्लाई को लेकर कोई दिक्कत इस वक्त नहीं है।