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Himachal Pradesh: पंचवक्त्र मंदिर में हुआ केदारनाथ जैसा 'चमत्कार'! | Panchvaktra Temple

Himachal Pradesh: हिमाचल में जहाँ 3 दिन से जारी मूसलाधार बारिश से तबाही का मंजर है, वहीं छोटी काशी का यह मंदिर सुरक्षित है, हम बात कर रहे ह...

Himachal Pradesh: हिमाचल में जहाँ 3 दिन से जारी मूसलाधार बारिश से तबाही का मंजर है, वहीं छोटी काशी का यह मंदिर सुरक्षित है, हम बात कर रहे हैं पंचवक्त्र महादेव मंदिर की। मंडी जिले का ऐतिहासिक पंचवक्त्र महादेव मंदिर ब्यास नदी की लहरों में घिरा हुआ है।

Himachal Pradesh: पंचवक्त्र मंदिर में हुआ केदारनाथ जैसा 'चमत्कार'! | Panchvaktra Temple image
Panchvaktra Temple

यह मंदिर केदारनाथ जैसा दिखता है। 10 साल पहले जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप धारण किया था। तब केदारनाथ मंदिर और नदी की धारा के बीच एक शिला आ गई थी। और मंदिर सुरक्षित रहा था। वहीं मंजर अब हिमाचल में दिखाएं।

हिमाचल में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक चमत्कार हुआ जहाँ एक और पुल पहाड़ और बड़े—बड़े मकान धराशायी हो गए, वहीं पंचवक्त्र मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा। मंडी को छोटी काशी कहा जाता है। जैसे काशी गंगा के किनारे बसी हैं। उसी तरह मंडी भी ब्यास नदी के तट पर है।


ब्यास नदी के भारी लहरों में भी पंचवक्त्र मंदिर को नही पहुॅचा नुकसान

रविवार सुबह यहाँ के पंचवक्त्र मंदिर के अंदर ब्यास नदी का पानी पहुँच गया था। शाम होते होते मंदिर के आसपास जल प्रलय जैसे हालात हो गए। शाम 6:00 बजे के आसपास मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गए।पानी मंदिर के गुंबद तक पहुँच गया लेकिन मंदिर पर ज़रा सी भी आच नहीं आयी।

पंचवक्त्र मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति है, जिसके पांच मुख है। मान्यता है कि यह पांच मुख शिव के अलग अलग रूप ईशान, अगोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र को दिखाते हैं।मंदिर का मुख्यद्वार ब्यास नदी की ओर है। इसके साथ ही दोनों तरफ दो आर पाई मंदिर में नंदी की भी एक भव्य मूर्ति है, जिसका मुख गर्भगृह की दिशा में हैं।


मंदिर का नाम पंचवक्त्र क्यों पड़ा?

मंडी का प्रसिद्ध पंचवक्त्र मंदिर 300 साल से ज्यादा पुराना है। इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे पंचवक्त्र नाम दिया गया, जो कि गुमनाम मूर्तिकार की कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर को शिखर वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया। मंडी ही नहीं पूरे हिमाचल प्रदेश में इस मंदिर की काफी मान्यता है।


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