Varanasi News: शास्त्रार्थ की परम्परा के संरक्षण एंव संवर्धन के लिए श्री काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में शास्त्रार्थ समिति के तत्वावध...
Varanasi News: शास्त्रार्थ की परम्परा के संरक्षण एंव संवर्धन के लिए श्री काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में शास्त्रार्थ समिति के तत्वावधान में प्रत्येक महीने की पूर्णिमा और अमावस्या को काशी के विभिन्न मठ, मंदिरों और विद्यालयों में शा सात का आयोजन किया जाएगा।
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Srikashi Vidwat Parishad |
सिद्धगिरी बाग स्थित ब्राह्म निवास आश्रम पर पहले पाक्षिक शास्त्रार्थ का उद्घाटन करते हुए, माननीय लक्ष्मण आचार्य महामहिम राज्यपाल सिक्किम ने कहा कि वादे वादे जायते तत्वबोधः। इस सिद्धांत को मानते हुए शास्त्रार्थ भारत की प्राचीन अकादमिक परंपरा रही है।
इस मौलिक परंपरा को पुनर्जीवित करने का बीड़ा काशी के विद्वत समाज ने उठाया है। राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य का स्वागत अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी एवं अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी जी ने किया।
जिसमें विभिन्न विद्यालयों के सैकड़ों संस्कृत के छात्रों ने भाग लिया। अध्यक्षता करते हुए पदमभूषण प्रोफेसर विशिष्ट त्रिपाठी ने कहा कि शास्त्रार्थ परंपरा अब लुप्तप्रायः है। केवल काशी में ही वर्ष में एक बार शास्त्रार्थ देखने को मिलता है। शास्त्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित करते हुए पूरे विश्व से विद्वानों को जोड़ा जाएगा। संचालन प्रोफेसर राम नारायण त्रिवेदी ने किया। इसके पूर्व मौलवी बाग सिगरा में श्रीकाशी विद्वत परिषद के नवीन कार्यालय का उद्घाटन लक्ष्मण आचार्य, महामहिम राज्यपाल सिक्किम के द्वारा किया गया।
पद्मभूषण प्रोफेसर विशिष्ट त्रिपाठी, प्रोफेसर गिरीश त्रिपाठी, प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय, प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी, महापौर अशोक तिवारी, माननीय विधायक से नीलकंठ तिवारी, प्रोफेसर विनय पांडेय, सतीश चंद मिश्रा, कमलेश झा, डॉक्टर विश्वनाथ दुबे, जयप्रकाश मिश्र, पंडित गोविंद शर्मा, भक्ति किरण शास्त्री,डॉक्टर गीता शास्त्री सहित अनेक विद्वानों की उपस्थिति में शास्त्रार्थ का आयोजन हुआ।