नमस्कार प्रिय पाठकों आज हम लोग (Wave Motion) तरंग गति और यान्त्रिक तरंग के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे। आप लोग पूर्वांचल समाचार ब्लाग प...
नमस्कार प्रिय पाठकों आज हम लोग (Wave Motion) तरंग गति और यान्त्रिक तरंग के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे। आप लोग पूर्वांचल समाचार ब्लाग पर बने रहे है।
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Wave Motion |
तरंग गति के बारे में विस्तार से वर्णन
तंरग गति की धारणा भौतिकी में बहुत ही मौलिक है। उर्जा संचरण की यह सबसे महत्वपूर्ण विधि है। तरंग गति का ज्ञान न केवल ध्वनि में बल्कि आधुनिक भौतिकी की प्रत्येक शाखा में अत्यन्त आवश्यक प्रतीत होता है। इसका कारण यह है कि प्रकाश, उष्मीय विकिरण एक्स—किरण गामा—किरण ,इलेक्ट्रॉन विकिरण तथा द्रव्य, सभी को तरंग रूप में व्यक्त किया जाता है। तालाब या झीलके सतह पर अग्रसर होती हुई लहरों को आपने अवश्य देखा होगा। इन तरंगों को सुमता से समझा जा सकता है।
यदि तालाब के शानत जल में एक पत्थर फेके तो जल की सतह पर तरंग बनती दिखाई पड़ती है जो पत्थर के गिरने के बिन्दु के चारों ओर वृताकार रूप में फैलती है। इसका कारण यह है कि जब पत्थर जल में गिरता हे तो पत्थर की गतिज उर्जा जल के कणों को मिल जाती है, तथा जल के कण कम्पन करने लगते है।
अर्थात पत्थर जिस सथान पर गिरता है,वहॉं एक विक्षोभ उतपन्न हो जाता है। यह विक्षोभ उस स्थान से इस प्रकार आगे की ओर बढ़ता है कि माध्यम के कण स्वयं नही चलते परन्तु अपनी साम्य स्थिति के इधर—उधर कम्पन करते रहते है। और अपनी गतिज उर्जा अपने पास वाले कणों को देकर स्वयं अपनी माध्य स्थिति में आने लगते है। यह क्रिया निरन्तर चलती रहती है।
अर्थात पत्थर फेंकने से जो विक्षोभ हलचल जल के किसी बिन्दु पर उत्पन्न हुआ वह उसी स्थान पर सीमित न रहकर तरंग के रूप में गतिमान हो जाता है। किसी में इस विक्षोभ के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग गति या यान्त्रिक तरंग गति कहते है। तथा विक्षोभ को, जसे आगे बढ़ता है, उसे तरंग कहते है।
अत: किसी द्रव्यात्मक माध्यम में उत्पन्न वह हलचल अर्थात विक्षोभ जो बिना अपना रूप बदले माध्यम में एक निश्चित चाल से आगे बढ़ता है, वह यान्त्रिक तरंग कहलाता है।
जैसे वस्तु में ध्वनि की तरंग तथा जल में उत्पन्न तरंगे।