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Durga Chalisa: दुर्गा चा​लीसा इस तरह पढ़ने से तुरन्त होगा लाभ जानिये अचूक उपाय - Aarti,Mantra,Puja Vidhi

 प्रिय पाठकों  durga chalisa ( दुर्गा चा​लीसा )  का जो भी नित्य पाठ करता है,उसका समस्त पाप मिट जाता है। और उसे सभी प्रकार का सुख-सम्पति एंव ...

 प्रिय पाठकों durga chalisa ( दुर्गा चा​लीसा )  का जो भी नित्य पाठ करता है,उसका समस्त पाप मिट जाता है। और उसे सभी प्रकार का सुख-सम्पति एंव परम पद की प्राप्ति होता है।

यह देवी चालीसा सभी प्रकार के शत्रुओं से रक्षा करने वाला तेज में वृद्वि करने वाला साधन है।

Durga Chalisa: दुर्गा चा​लीसा इस तरह पढ़ने से तुरन्त होगा लाभ जानिये अचूक उपाय - Aarti,Mantra,Puja Vidhi , purvanchal samachar
Durga Chalisa


श्री गणेशाये नम:

श्री दुर्गाये नम:


Durga Chalisa श्री दुर्गा चालीसा 


दोहा — 

जय जय जय दुर्गे जयति, जय दुर्गेश्वरि देवि।

जयति ज​यति दुर्गम द​लनि, दुरित ह​रणि सुरसेवि।।

जयति महगौरी जयति, आदिशक्ति जगदम्ब।

भुवन चतुर्दश लोक त्रय, माता का ही अवलम्ब।।


चौपाई 


नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दु:ख हरनी।।

निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूॅं लोक फैली उजियारी ।।

शशि ललाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला।।

रूप मातु को अधिक सुहावै । दरश करत जनि अति सुख पावै।।

तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ।।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम्हीं आदि सुन्दरी बाला ।।

प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ।।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं । ब्रम्हा विष्णु तुमहें नित ध्यावैं।।

रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्वि ऋृषि— मुनिन उबारा।।

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा । परगट भई फाड़ कर खम्भा।।

रक्षा करि प्रहलाद बचायो । हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो।।

लक्ष्मी रूप धरी जगमाहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ।।

क्षीरसिंधु में करत विलासा । दयासिंधु दीजै मन आशा।।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी।।

मातंगी धूमा​​वति माता । भुवनेश्वरि बगला-दु:ख निवारिणि ।।

श्री भैरवि तारा जग ​तारिणि । छिन्न भाल भव-दु:ख निवारिणि।।

केहरि वाहन सोह भवानी। लंगूर वीर चलत अगवानी।।

कर में ख्प्पर खड्ग विराजै। जाको देखि काल डर भाजै।।

नगर कोट  में तुम्हीं विराजत। तिहूॅं लोक में डंका बाजत।।

शुम्भ-निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी ।।

रूप कराल काली को धारा । सेन सहित तुम तिहिं संहारा।।

परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब । भई सहाय मातु तुम तब-तब।।

अमरपुरी औरों सब लोका। तव महिमा सब रहे अशोका।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी।।

प्रेम-भक्ति से जो यश गावै। दु:ख-दारिद्र निकट नहिं आवै।।

ध्यावै तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताको छुटि जाई।।

जोगी सुर-मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।।

शंकर ने आचरज तप कीनो । काम क्रोध जीति सब लीनो।।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहीं सुमिरो तुमको।।

शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो।।

शरणागत होइ कीर्ति बखानी । जय—जय—जय जगदम्ब भवानी ।।

भ्ई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहि कीन बिलम्बा।।

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दु:ख मेरो।।

आशा तृष्णा निपट सतावै । मोह मदादिक सब विनशावै।।

शत्रु नाश कीजै महरानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।।

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋृद्वि-सिद्वि दे करहु निहाला।।

जब लगि जियों दया-फल पाउॅं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाउॅं।।

दुर्गा चालीसा जो कोइ गावै। सब सुख भोग परम पद पावै।।

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी।।,


।।इति श्रीदुर्गा-चालीसा सम्पूर्ण।


Maa Durga Mantra (Puja Vidhi)

देवी मॉं को मंत्रो द्वारा जल्द ही प्रसन्न होती है,इनकी आराधना में मंत्रोच्चाण अवश्य करना चाहिए।

  • ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।


दुर्गा चालीसा पढ़ने की विधि

सर्वप्रथम आप लोग स्नान करते साफ सुथरा वस्त्र धारण करें। उसके बाद अपने घर के पूजा स्थान पर माता दुर्गा जी की प्रतिमा को आसन पर रखे और उन्हें गंगा जल से स्नान करा कर उन्हें चुनरी पहनावें फिर स्वंय आसन पर बैठे देवी मॉं जी के सामने देशी धी का दिया जालाये और  सुगंधति धूप—अगरबत्ती दिखाये। मॉं को माला, गुड़हल एंव लाल फूल अर्पित करें। मॉं को मिठाई अथवा फल का भोग लगाये। देवी माता को लवंग काफी प्रिय है। 

3 बार प्राणयाम करे और माता जी का ध्यान करे। उसके बाद दुर्गा चालीसा पढ़े फिर मॉं दुर्गा मंत्र का पाठ करे। दुर्गा माता जी से सच्चे मन से प्राथना करे मॉं को ममता मयी और दया की भण्डार है। उसके ​बाद दुर्गा मॉं की आरती कपूर से करे। सम्भ्व हो, तो आरती में सपरिवार शामिल हो एंव शंख—धण्टी गूंजायमान करे।

और आखरी में माता जी से क्षमा मांगना न भूले 

नोट: किसी भी पूजा पाठ से पहले सर्वप्रथम गणेश भगवान की पूजा करना आवश्यक है।


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