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स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव : Stri Ki Kundli Me Mangal Grah Ka Prabhav

स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव आज हम स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव  Stri Ki Kundli Me Mangal Grah Ka Prabhav  और उसके उपाय के बा...

स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव

आज हम स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव Stri Ki Kundli Me Mangal Grah Ka Prabhav  और उसके उपाय के बारे में सम्पूर्ण विधि बताएंगे।  स्त्री जातक की कुंडली में ग्रहों का अलग अलग घरों में क्या प्रभाव रहता है? स्त्री की कुंडली के अनुसार स्त्रियों के ग्रहों का प्रभाव शुभ है। अथवा अशुभ है, उस पर हमारी उस पर भी हम बात करेंगे। 

 दोस्तों मंगल अगर किसी स्त्री की कुंडली में बैठे हैं। तो कई घरों में वह मांगलिक दोष बनाते है। इसका स्त्री की कुंडली में क्या प्रभाव पड़ेगा? 

क्या स्त्री के कुंडली में मांगलिक होना ज्यादा खतरनाक होता है? मंगल स्त्रियों की कुंडली में  अलग अलग घरों में कितना दुख और कितना सुख देता है।

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स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव


कुंडली का पहला घर जिसे तन मन, धन कहा जाता है, जो हमारे जीवन का इंजन है। जहाँ पर अगर किसी स्त्री की कुंडली में मंगल आ जाता है तो ये मंगलिक दोष कहलाता है। 

जैसे आम शब्दों में मंगली बोला जाता है, वो एक्चुअल में मंगला दोष कहलाता है। भौम दोष कहलाता है या कुंज दोष कहलाता है? इसे आम स्त्री जाति का की कुंडली में पुरानी पुस्तकों में बताया गया है। की ये विधवा योग बना देता है, खतरनाक योग बना देता है।   एक से लेकर बारहवे भाव तक हम स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव के बारे में जानेंगे है।


स्त्री की कुंडली में प्रथम भाव में मंगल का प्रभाव

प्रिय जातकों इन सारी बातों के लिए आपको केवल पहले घर को देख कर ही नहीं चलना होता है। स्त्रियों की कुंडली में लग्न में अगर मंगल हो तो भले ही यह मंगलिक दोष बनता हो। लेकिन मैनेजमेंट की पावर बहुत स्ट्रॉन्ग होती है। 

अपनी क्षमताओं से पूरे परिवार को बांध लेना, उनको मैनेज करना, सुपरविज़न करना, ये क्वालिटी? मंगल नेगेटिव प्रभाव नहीं देता, लगन में बैठा हुआ मंगल सामाजिक रूप से बहुत स्ट्रॉन्ग बनाता है। और ऐसी स्त्रियों को हमें। 

मैनेजमेंट की पावर बहुत स्ट्रॉन्ग होती है। अपनी क्षमताओं से पूरे परिवार को बांध लेना, उनको मैनेज करना, सुपरविज़न करना, ये क्वालिटी इन स्त्रियों में होती है। 

भले ही चेहरे पर चोट लगना, सर पर चोट लगना, ऐसी घटनाएं कुछ होती है, लेकिन जब तक कुंडली का सातवाँ घर खाली ना हो, तब तक यह मंगल नेगेटिव प्रभाव नहीं देता। 

लगन में बैठा हुआ मंगल सामाजिक रूप से बहुत स्ट्रॉन्ग बनाता है और ऐसी स्त्रियों को हमेशा वर्किंग में रहना चाहिए तो इनका मंगल कभी भी बुरा असर नहीं करता। 


स्त्री की कुंडली में दूसरे भाव में मंगल का प्रभाव  

स्त्री की कुंडली में दूसरे घर में मंगल हो तो इसे बाँझ कहा गया है। इसके संदर्भ में लेकिन फिर वही बात आती है। की  पुरानी किताबों में इस तरह की चीजें बताई गई है। क्या ऐसा हमेशा होता है? 

नहीं मित्रों मंगल जब दूसरे घर में होते हैं तो वहाँ से दृष्टि देते हैं। जो चौथी दृष्टि उनकी संतान के स्थान पर होती है तो संतान के लिए दिक्कत देते हैं। सर्जरी, अबॉर्शन, मिसकैरेज ऐसी घटनाएं घटती और कहीं पर भी शनि और राहु का चौथे घर पर इम्पैक्ट होगा। 

डाइरेक्टली इन डाइरेक्टली तो दूसरे घर का मंगल तब स्त्रियों को बांझपन देता है अन्यथा नहीं देता है।  इसके अलावा अगर दूसरे घर में मंगल बैठा है, और बुध और शुक्र की युति ग्यारहवें घर से बारहवीं घर से दसवें घर से बन रही हो या छठे घर में भी बन रही हो या आठवें घर में बन रही हो तब कुछ ऐसी स्थितियां बनती है।

अन्यथा सभी को संतान में कमी होगी।  स्त्री संतान नहीं दे पाएगी, हाँ ये जरूर है कि हो सकता है। मिसकैरेज, अबॉर्शन या सर्जरी के बाद संतान हो।


 स्त्री की कुंडली में तृतीय भाव में मंगल का प्रभाव


मित्रों यदि तीसरे घर में अगर मंगल हो किसी स्त्री की कुंडली में तो ऐसी स्त्री बहुत ज्यादा सहज नहीं हो पाती। 

वो कहीं ना कहीं अपने आप में खुद को कैदी महसूस करती है, जो उसकी क्षमताएं हैं। उस का पूर्ण फल प्राप्त नहीं कर पाती और अक्सर अपने खुद के ही रिश्तेदारों के द्वारा संबंधियों के द्वारा प्रताड़ित होती है। तो यहाँ पर थोड़ा सा यह नेगेटिव आ जाता है। 


 स्त्री की कुंडली में चतुर्थ भाव में मंगल का प्रभाव

अगर हम चौथे घर में बात करें तो चौथे घर में अगर मंगल होते हैं तो यह फिर मांगलिक दोष बनता है और ये काफी दुखी योग दे देता है। जीवन में स्वास्थ्य के प्रति, परिवार के प्रति अन्य खुशियों के प्रति कहीं ना कहीं वो हमेशा जूझती भी महसूस होती है। 

हमेशा अपनी लाइफ में उसको संघर्ष करना पड़ता है।ओर नज़र टोक लोगों की भाई ये चीज़े बहुत जल्दी इफेक्ट करती है और घर के अंदर एक तनाव और लड़ाई, झगड़ा या विवाद वाला माहौल उसे मिलता है। हमेशा इन चीजों से वो घिरी रहती है।

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 स्त्री की कुंडली में पंचम भाव में मंगल का प्रभाव

दोस्तों पांचवें घर में अगर मंगल होते है किसी स्त्री की कुंडली में तो यहाँ पर भी।संतान की मिसकैरेज अबोर्शन सर्जरी से बच्चा होना ऐसी चीजें उत्पन्न होती ऐसे लोगों को अक्सर दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है, दवाइयों से घिरे रहते है। न चाहते हुए भी ऐसे लोग मेडिकल सहारे के ऊपर टिके रहते हैं।जादू टोना तंत्र इन चीजों का भय या इन चीजों का वेहम बहुत ज्यादा रहता है। 


स्त्री की कुंडली में ष्ष्ठी भाव में मंगल का प्रभाव


 छठे घर में अगर मंगल होता है तो यह काफी हद तक उसके लिए फेवरेबल होता है। निरोगी बना देता है जूझने की और लड़ने की ताकत उसमें दे देता है। बीमारियां दूर रहती है, अपने विल पावर से ऐसी स्त्रियाँ बहुत कुछ अचीव कर लेती।

दोस्तों कुंडली के साथ में घर में अगर किसी स्त्री के मंगल हो तो ऐसी स्त्री बहुत पति की तीव्रता होती है, पति को प्रेम करने वाली होती है, पति के लिए बहुत ज्यादा समर्पण की भावना उसके अंदर होती है। लेकिन रोज़ रोज़ की चिकचिक खटास कही ना कही परिवार में कॉम्प्लिकेशन पैदा करती है।


स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव में मंगल का प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार सप्तम भाव जो है उसको मारक स्थान भी कहा गया है। 

यह कर्मस्थान से भी एक कनेक्शन रखता है। यदि कुंडली में मंगल सातवॉं भाव में विराजमान है। तो सबसे पहले यह मंगल दोष बनाता है मतलब कि मांगलिक दोष बनाता है। विवाह के उपरान्त विवाह के बाद वाला जीवन बहुत ज़्यादा अच्छा नहीं होता है। 

सातवॉं भाव का मंगल जात​क को थोड़ा ज्यादा अग्रेसिव बनाता है। छोटी छोटी बातों में बाल का खाल निकालना जिसे कहते हैं उस वाली स्थिति में लेकर जाता है और उसका सबसे पहला शिकार होता है। 

 सप्तम भाव मतलब कि अगर लड़का है तो उसकी पत्नी अगर लड़की है तो उसका हस्बैंड यह अपने लाइफ पार्टनर के साथ कुछ ऐसी बातों को लेकर बहस करते हैं जिसका कोई मतलब नहीं होता।

छोटी छोटी बातों में झगड़ा करना छोटे छोटे मैटर में तूल कलाम करके चीजों को बहुत ज्यादा एक बड़ा समस्यॉं बना देना। इस तरह के समस्यॉं  लाइफ में आते है। 

 स्पेसिअली आफ्टर मैरिज आते हैं, सप्तम भाव में मंगल है और स्पेसिअली अगर वो अष्टम भाव का होकर सप्तम भाव में हैं। तो ऐसी स्थिति में डिवोर्स तक की नौबत आ जाती है। 

ऐसी स्थिति में एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर की वजह से तलाक भी हो जाता है।  सप्तम भाव में मंगल रहने की वजह से व्यक्ति के अंदर हर बात को बहुत ही बारीकी से देखने की एक मेंटैलिटी बन जाती है।  


स्त्री की कुंडली में आठवॉ भाव में मंगल का प्रभाव

आठवें घर की बात करें तो आठवें घर में जब किसी स्त्री के मंगल होते हैं तो ऐसी के लिए अक्सर ये माना जाता है कि हार्मोनल डिस्टरबैंस पेट की खराबी इन चीजों से तो जूझ ही रही होती है, साथ में नास्तिक पनाह धर्म से थोड़ा सा हटकर या अलग लाइन में चलना उसकी प्रवृत्ति होती है। शक करना  उसकी बेसिक प्रवृत्ति होती है। थोड़ा सा लड़ाई झगड़े वाली प्रवृत्ति उसके अंदर आ जाती है। 

अष्टम भाव को चार खराब स्थानों में से एक माना गया है। चार खराब स्थान कौन कौन से होते हैं? तीसरा भाव, छठा भाव, आठवां भाव और द्वादश भाव इन चारों भावों में से सबसे खराब या नेगेटिव भाव जो होता है। 

 आठवां भाव अध्यात्म का भी होता है। अध्यात्म को हम आठवें भाव से देखते हैं। आठवें भाव में जब मंगल विराजमान होते हैं तो सबसे पहले यह जातक के अंदर किसी ना किसी ऐसे डिज़ीज़ को देते हैं।

स्पेशियली जिनका कनेक्शन ब्लड से हो, जैसे की ब्लड से रिलेटेड कोई भी इश्यूस, हाई ब्लड प्रेशर ब्लड के दूषित होने की वजह से स्किन से रिलेटेड समस्याएं आना, जेनिटल प्रॉब्लम क्योंकि आठवां भाव जो होता है।

हमारे जेनिटल को भी रिप्रजेंट करता है। मतलब हमारी जो जननेंद्रियाँ होती है। उसको हम आठवें भाव से देखते हैं। तो जीतने भी गुप्त रोग का विचार आठवें भाग से होता है। 

आठवें भाव में जब मंगल विराजमान होते हैं तो कोई ना कोई गुप्त रोग के कारण व्यक्ति ग्रसित होता है। स्पेशली अगर पुरुष हैं तो से रिलेटेड अगर महिलाएं हैं। तो ओबरी या फिर यूट्रस से रिलेटेड चीजों में इनको थोड़ी सी समस्याएं आती है।


मंगल यदि पूरी तरह से वह प्रभावित है। किसी दूसरे प्रभावी गृह जैसे सूर्य, शनि या राहु ये अगर मंगल को वहाँ पर पूरी तरह से दृष्टि डाले हुए हैं। अथवा उनके साथ युति बनाकर में विराजमान हैं। तो ऐसी अवस्था में सर्जरी होता ही है। 

अकेला मंगल भी सर्जरी देता है। ऐसे लोगों को अन्डर नेवल यानी की नाभि के नीचे का जो एरिया हैं, उस पोर्शन में ऑपरेशन या सर्जरी होने की संभावना रहती हैं। 

आठवें भाव का मंगल कई बार एड्स के शिकार लोगों के कुंडली में भी मैंने देखा है। आठवें भाव का मंगल ऐक्सिडेंट्स को भी दिखाता है। स्पेशली दुर्घटना में ग्रसित होकर,  ऐसी स्थिति जिसमें इमर्जेन्सी हो जाती है। तो ऑपरेशन करना पड़ता है तो इस तरह की स्थितियों को भी, आठवें भाव का मंगल पैदा करता है। 


स्त्री की कुंडली में नौवा भाव में मंगल का प्रभाव

दोस्तों नौवें घर में अगरकिसी इस तरीके मंगल हो तो बहुत ज्यादा सुखद तो नहीं होता है। हाँ यह जरूर है की वो दूसरों के लिए बड़ी लकी होती है। उसके भाग्य से घर परिवार वालों की तरक्की शुरू हो जाती है। वो अपने परिवार वालों के लिए लकी रहती है, लेकिन अपनी पर्सनल लाइफ के लिए या जितना स्टॉक किया सपोर्ट उसको अपने मायके में।आप होता है उतना सुख और सपोर्ट उसके ससुराल में उसे प्राप्त नहीं हो पाता। 


स्त्री की कुंडली में दशवें भाव में मंगल का प्रभाव

दोस्तों कुंडली के दसवें घर में जब मंगल होते है किसी स्त्री की कुंडली में तो ऐसी स्त्री अपने संतान के लिए बहुत परेशान रहती हैं। संतान अक्सर उसके परेशान करने वाली, कष्ट पहुंचाने वाली, दुख पहुंचाने वाली ,प्राप्ति संतान की उम्मीद संतान से एक्सपेक्टेशन्स हमेशा उसकी फेल होती है।

झूठ बढ़ जाती है। ऐसी स्त्रियों को भगवान मौके बहुत देता है। किस्मत में पैसे की तरफ से कोई कमी नहीं होती। 


 स्त्री की कुंडली में ग्यारहवें भाव में मंगल का प्रभाव


दोस्तों कुंडली में ग्यारहवें घर में अगर किसी स्त्री के मंगल बैठे हो तो लाभकारी होता है। 

लाभ देने वाला होता है। हर तरह से सफलता, धन में तरक्की, परिवार में समृद्धि ये सारी चीजें प्राप्त होती है। घर में यदि किसी स्थितिके मंगल आते हैं तो वह मंगली कहलाती है। 


स्त्री की कुंडली में बारहवॉं भाव में मंगल का प्रभाव

यदि स्त्री की कुंडली में बारहवॉं घर में मंगल है तो वह मांगलिक कहलाती है।

जातक रात की नींद उड़ जाना, बिस्तर का चैन उड़ जाना, बिस्तर के सुख में कमी आना, पति - पत्नी का बिस्तर पर लड़ाई होना यह आम बात होती हैं। 

ऐसी स्त्रियों के अक्सर नेगेटिव, थॉट या नेगेटिव चीजों पर दिमाग ज्यादा चला जाता है। हर चीज़ को उल्टे तरीके से उलटे नजरिये से देखना और उसके कारण घर परिवार के अंदर खुशियों को ग्रहण लगा देना उसकी प्रवृत्ति में होता है। खुद भी ना सोना और दूसरों को भी ना सुने देने वाली बेसिक प्रवृत्ति उसके अंदर जाग जाती है। 


यह भी पढ़े: हनुमान चालीसा


People also ask (FAQ)


मंगल के लिए कौन सा घर खराब है?

मंगल के लिए  12 वॉ घर खराब हैं।


हनुमान जी प्रसन्न होने पर क्या संकेत देते हैं?

हनुमान जी प्रसन्न होने पर आपको स्वंय ही अनु​भूति हो जाता है।


मंगल को कैसे खुश करते हैं?

मंगल को खुश करने के लिए सर्वप्रथम आपको हनुमान चालीसा एंव हनुमान जी का पूजा एंव व्रत अवश्य करनी चाहिए। इसके साथ ही रत्न भी धारण करना चाहिए और रक्तदान,एंव बंदरों को गुड़ चना दे।


मंगल ग्रह शांत करने के लिए क्या करना चाहिए?

मंगल ग्रह शांत करने के लिए हनुमान जी का पूजा और व्रत करनी चाहिए और मंगल ग्रह के शान्ति के लिए रत्न ग्रहण करना चाहिए।

मंगल ग्रह शांत के उपाय
सीता राम नाम का नित्य जाप
प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ
श्री हनुमते नम: का 11 बार जाप
मंगलवार को लाल वस्त्र धारण करें
बंदरो को गुड चना दे