बंगाल टाइगर के बारे में बताओ ऐसा बहुत लोग आपसे भी पूछते होंगे, तो यह लेख आपके लिए है। यह लेख पढ़ने के बाद आपको कोई दूसरा लेख पढ़ने की आवश्य...
बंगाल टाइगर के बारे में बताओ ऐसा बहुत लोग आपसे भी पूछते होंगे, तो यह लेख आपके लिए है। यह लेख पढ़ने के बाद आपको कोई दूसरा लेख पढ़ने की आवश्यकता नही पड़ेगी।
![]() |
बंगाल टाइगर के बारे में बताओ |
जानवरों की दुनिया में शिकार और शिकारी के बीच का फासला ताकत, फुर्ती और चालाकी का होता है। यानी जिसके पास यह तीनों चीजें हैं, जंगल में उसका रहना आसान हो जाता है।
इन्हीं सारी खूबियों से लबरेज इस जानवर के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। उसकी एक दहाड़ से पूरे जंगल को थर्रा सकती है। यह इतना ताकतवर है, की अकेले ही जंगल के किसी भी जानवर से पंगा लेने की हिम्मत रखता है। जी हाँ दोस्तों हम बंगाल टाइगर यानी बाघ की बात कर रहे हैं।
बंगाल टाइगर का वैज्ञानिक नाम पैंथरा टाइग्रिस है। भारत में पाये जाने वाली सबसे सुंदर और ताकतवर जानवरों में से एक है। उनके शरीर पर छोटे बालों का एक कोट होता है। जो कि सुनहरे भूरे रंग के होते हैं। बंगाल टाइगर का शरीर मांसपेशियों से बना होता है जिसके कारण वे बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। निचले जबड़े और सफेद लंबी मूंछ के चारों ओर हल्के के घने विकास के साथ उनका बड़ा सिर होता है, उनके पास 10 सेंटीमीटर तक बड़े दाँत होते हैं।
सूंघने और सुनने की शक्ति बहुत अच्छी होती है। बंगाल टाइगर अकेले में रहना पसंद करते हैं और आमतौर पर शांत रहते हैं। इन क्षेत्रों का आकार वे आम तौर पर पेशाब और पंजे के निशान के साथ अपने क्षेत्रों को चिन्हित करते हैं। बंगाल टाइगर बहुत ही खतरनाक जानवर होते हैं।
यह दिन के दौरान चारों ओर घूमते है और रात के दौरान शिकार करते हैं। यह बहुत अच्छे तैराक भी होते हैं और अपने बड़े शरीर होने के बावजूद बहुत आसानी से पेड़ों पर चढ़ जाते हैं। नर बंगाल टाइगर नाक से पूंछ तक तीन मीटर तक बड़े होते हैं और इनका वजन 180 से 300 किलोग्राम के बीच होता है। इस प्रजाति की मादा का वजन 100 से 160 किलोग्राम के बीच होता है और ढ़ाई मीटर तक की लंबाई हो सकती है।
अब तक के सबसे बड़े रॉयल बंगाल टाइगर का वजन लगभग 400 किलोग्राम पाया गया है। रॉयल बंगाल टाइगर मांसाहारी होते हैं। वे मुख्य रूप से मध्यम आकार के शाकाहारी जानवर जैसे चीतल, हिरणनील गाय, भैस का शिकार करते हैं।
बंगाल टाइगर भारत के कई नैश्नल पार्क में निवास करते हैं। ये खासकर घास के मैदानों और सूखी झाड़ियों में रहते हैं। कर्नाटक में बांदीपुर नेशनल पार्क में 408 रॉयल बंगाल टाइगर्स की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है और इसके बाद उत्तराखण्ड और मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। सनातन संस्कृति में बाघों को हमेशा बहुत ही प्रमुख स्थान दिया गया है। बाघ माता दुर्गा मॉ जी की सवारी है।
आइये पूर्ण रूप से जानने की कोशिश करते हैं। कि आखिर टाइगर इतना स्ट्रॉन्ग कैसे होता है?
हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य, टाइगर — बाघ अपनी ताकत के बल पर दुनिया में जाना जाता है। साथ ही एक कमाल का शिकारी भी है।
अगर भारत की बात करें तो बंगाल टाइगर भारत का राष्ट्रीय पशु हैं। टाइगर के प्रोटेक्शन को लेकर लोगों में अवेरनेस बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है।
टाइगर की कितनी प्रजातियां होती हैं? विभिन्न स्थानों में बाघों की प्रजातियॉ
एक और खास बात साइबेरियन प्रजाति के टाइगर दुनिया के सबसे बड़े टाइगर होते हैं।
वहीं सुमात्रन टाइगर को सबसे छोटा टाइगर माना जाता है। इस दुनिया का सबसे पॉपुलर ऐनिमल है। इसकी गिनती दुनिया के सबसे ब्यूटीफुल और ताकतवर एनिमल्स में की जाती है। टाइगर को इंडिया, बांग्लादेश, मलेशिया और साउथ कोरिया में काफी रिस्पेक्ट ऐनिमल का दर्जा हासिल है।
इसके अलावा यह नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में भी देखने को मिलते हैं। यह ट्रॉपिकल फॉरेस्ट में भी पाए जाते हैं। मगर इंडिया में टाइगर्स का पॉप्युलेशन सबसे ज्यादा है। दुनिया के लगभग 80% टाइगर अकेले भारत में पाए जाते हैं।
समग्र शरीर की ताकत
दरअसल इस जानवर के ताकतवर होने के पीछे का सारा राज़ इसकी स्ट्रांग बॉडी ही है जो कि दूसरे जानवरों की तुलना में काफी अलग है। अब ज़रा गौर से इसकी बॉडी पार्ट्स के फीचर्स को समझते हैं। अगर टाइगर की साइज की बात की जाए तो इसकी बॉडी की पूरी लंबाई लगभग पांच से छह फिट तक होती है। इनकी पूछ लगभग तीन फिट तक लंबी होती है। इनकी मस्क्युलर बॉडी काफी हेल्दी और स्ट्रांग होती है, जिसका वजन लगभग 250 से 300 किलो तक होता है। बावजूद इसके यह लगभग 16 फिट तक जम्प कर सकते हैं।
यह अपने शिकार को पकड़ने के लिए उस पर आंधी की स्पीड से टूट पड़ता है। अगर इसके लुक की बात करें तो यह दुनिया का सबसे रॉयल ऐनिमल माना जाता है। इसका ऐटिट्यूड एग्रेसिवनेस और शिकारी अंदाज से दुनिया का सबसे ताकतवर ऐनिमल बनाता है।
अब हम इसके हर एक बॉडी पार्ट के फीचर्स को डिटेल्स में डिस्क्राइब करते हैं, जिसे देखकर आपको भी यकीन हो जाएगा कि वाकई में इसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता।
मजबूत काटने की शक्ति शेर चीता जैगुआर और मगरमच्छ जैसे शिकारी जानवरों की शिकार करने में सफलता उनके मजबूत जबड़े पर ही डिपेंड करती है। ठीक वैसे ही टाइगर के जबड़े से भी शिकार का बचना इम्पॉसिबल होता है। क्योंकि टाइगर का वाइड फोर्स लगभग 1050 पीएस आई PSI होता है, जिससे ये शिकार पर अपनी पकड़ को मजबूत बना सकते हैं।
यह बड़े से बड़े जानवर को भी अपने जबड़ों में दबा कर मार सकते हैं। यहाँ तक कि बफेलो जैसे भारी और ताकतवर जानवर की गर्दन भी तोड़ सकते हैं। इसकी ताकत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं। इसका बाइट फोर्स शेर के बाइट फोर्स से भी ज्यादा होता है।
बाघ का दांत और जीभ
अपने मुँह से लगभग 100 किलो तक वजन उठा सकते हैं। टाइगर के ऊपर के दांत 10 सेंटीमीटर की लंबाई के होते हैं जो कि इंसानों की उंगलियों के बराबर होते हैं। इसके अलावा इनकी जीभ इतनी खुरदूरी होती है यह किसी को बस चाट भी ले तो वो भी लहूलुहान कर सकते हैं। खुरदुरी जीभ के कारण बाघ नदी या तालाब का पानी जीभ से सोखकर नहीं पी पाता बल्कि यह जीभ को कब जैसा आकार देकर उसमें पानी भरकर पीता है।
बाघ का पंजा
दांत और जीभ की तरह ही इनका पंजाबी बेहद स्ट्रॉन्ग होता है। जो की साइज में लगभग 8 आठ इंच तक का होता है। इनके पंजों में बहुत ही नुकीले नाखून होते हैं जो की शिकार करने में काफी मदद करते हैं। इनका पंजा एक वेपन की तरह होता है, जिससे इन्हें अपने शिकार को पकड़ने में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा बाघ के पंजे गद्देदार होते हैं, जिससे इन्हें बिना आवाज किए घात लगाकर शिकार तक पहुंचने में आसानी होती है।
टाइगर का पैर
अब इस शिकारी जानवर के पैरों की बात करते हैं। यह अपने मजबूत पैरों के दम पर ही बड़े से बड़े जानवर को अपना शिकार बना पाते हैं। इनके काफी पॉवरफुल होते हैं। इनमें इतनी मजबूत होती है कि मरने के बाद भी यह कुछ समय तक अपने पैरों पर खड़े रह सकते हैं। दुनिया के सबसे खतरनाक शिकारी जानवर होने के नाते इन्हें कुछ नैचरल एबिलिटीज़ भी मिली है, जिसकी मदद से यह अपनी बादशाहत कायम रख पाते हैं। अपने मजबूत पैरों के दम पर ही यह लगभग 60 किलोमीटर प्रतिघण्टा की स्पीड से दौड़ सकते हैं। हालांकि इन्हें इतनी तेज दौड़ने की जरूरत बहुत कम पड़ती है क्योंकि यह स्ट्रैटिजी के तहत शिकार को बड़ी जल्दी धर दबोचते है।
बाघ की पूंछ
इसके अलावा टाइगर की बॉडी स्ट्रेंथ में इनकी पूंछ का भी काफी महत्वपूर्ण रोल होता है। टाइगर की पूंछ उसके शरीर की लंबाई की लगभग एक तिहाई होती है जो दौड़ते समय टाइगर का बैलेंस बनाए रखने में हेल्प करती है। यानी टाइगर के स्ट्रांग होने में इसकी हर एक बॉडी पार्ट का काफी इम्पोर्टेन्ट रोल होता है।
टाइगर की तैरने की क्षमता
वैसे तो टाइगर अपने टेरिटरी में हर दिन लगभग 40 किलोमीटर घूमते हैं, लेकिन इनके शिकारी अंदाज को देखकर ये समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। की यह सिर्फ जमीन पर ही अपने शिकार पर हमला कर सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है, की यह काफी अच्छे तैराक भी होते हैं। यह पानी में बिना रुके लगभग पांच से छह किलोमीटर तक तैर सकते हैं।
![]() |
Bengal Tiger |
ऐसा अक्सर यह अपने शिकार का पीछा करते हुए या इंसानों के हमले से बचने के लिए करते हैं। इसीलिए टाइगर की कैपेबिलिटी को कम आंकना बड़ी भूल साबित हो सकती है।
टाइगर का पेड़ो पर चढ़ने की क्षमता
आम तौर पर ये जानवर अपना शिकार जमीन पर ही करते हैं। लेकिन खास परिस्थितियों में ये कभी कभी पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं। हालांकि सीधे और बड़े पेड़ों पर चढ़ने में इन्हें मुश्किल होती है, लेकिन छोटे और घुमावदार पेड़ों पर यह अक्सर चढ़ जाते हैं। और ऐसा या अपने गद्देदार पंजों की वजह से कर पाते हैं।
पौराणिक शिकारी का पसंदीदा शिकार
टाइगर को मोस्ट लेजंडरी शिकारी जानवरों में सबसे ऊपर रखा जाता है। दरअसल, इनके शिकार की वजह, इनकी फूड हैबिट्स है। टाइगर की बॉडी साइज के मुताबिक उन्हें काफी ज्यादा मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है, इसलिए इन्हें काफी ज्यादा चाहिए होता है।
यह दिनभर में लगभग 30 किलोमीटर खा सकते हैं। हालांकि एक बार बैठ कर यह 12 किलो तक मांस खाते हैं। ज्यादा दिनों तक भूखे रहने पर इनकी मौत हो जाती है। इसीलिए टाइगर शिकार के मामले में काफी ऐक्टिव रहते हैं और हमेशा ऐसे शिकार को ढूंढ़ते हैं जिनमें ज्यादा मांस पाया जाता हो। इनमें हिरण, जंगली सूअर और जंगली भैस शामिल हैं। टाइगर अपना शिकार हमेशा अकेला ही करता है।
आक्रमणकारी तकनीक
वैसे तो भूख लगने पर यह किसी भी समय शिकार कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर या अंधेरे में ही शिकार करना पसंद करते हैं। इसके लिए यह खास टेकनिक को फॉलो करते हुए अपने शिकार पर पीछे से हमला करते हैं। या अपने धारीदार शरीर के कारण झाड़ियों में घुल मिल जाते हैं और शिकार के नजदीक पहुँच कर उस पर टूट पड़ते हैं।
बाघ के दौड़ने की रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघण्टा हो सकती है। वैसे तो यह बहुत अच्छे शिकारी होते हैं, लेकिन इसके बावजूद यह हर 20 शिकार में से एक को ही मारने में सफल हो पाते है। भारी भरकम शरीर के कारण यह जल्दी थक भी जाते हैं। इसलिए यह ज्यादा लंबी दूरी तक शिकार का पीछा नहीं करते। इसी वजह से कई बार भूख के कारण बूढ़े और कमजोर बाघों की मौत भी हो जाती है। यहाँ टाइगर से जुड़ी एक मजेदार बात यह है कि शिकार के बाद मेल टाइगर फीमेल टाइगर का इंतज़ार करते हैं। और उनके खा लेने के बाद ही शिकार को खाते हैं।
जंगल के किसी भी जानवर से ज्यादा स्ट्रांग और अग्रेसिव है। लेकिन चिंता की बात यह है, कि पिछले 100 वर्षों में टाइगर्स की आबादी में कमी आई है। अवैघ शिकार इसकी एक सबसे बड़ी वजह है। जिसे रोकना काफी ज्यादा जरूरी है।
FAQ: People also ask
बाघ से पहले भारत का राष्ट्रीय पशु कौन सा है?
यहां आपको बता दें कि शेर को बाघ से पहले भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया हुआ था
टाइगर को बंगाल टाइगर क्यों कहा जाता है?
बंगाल टाइगर को इसलिए बंगाल टाइगर कहा जाता है क्योंकि यह वर्षा वन्यजीव अधिनियम के अंतर्गत बंगाल राज्य में पाया जाता है।
भारत में बंगाल टाइगर की संख्या कितनी है?
नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड के मुताबिक, विश्व के 69 % से भी ज्यादा बाघ भारत में ही रहते हैं। 2014 के गणना के अनुसार भारत में इनकी संख्या 2226 पायी गयी।
रॉयल बंगाल टाइगर कहाँ पाए जाते?
रॉयल बंगाल टाइगर सबसे ज्यादा भारत में पाये जाते है।
बंगाल टाइगर को राष्ट्रीय पशु कब घोषित किया गया?
नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड द्वारा बंगाल टाइगर को भारत का राष्ट्रीय पशु बनाए जाने का ऐलान 1972 में किया गया था। इस निर्णय के बाद से, इसे भारतीय संरक्षण के लिए प्राथमिकता दी गई है।
भारत में बाघ क्यों कम हो रहे हैं?
भारत में बाघ अवैध व्यापार और अवैध शिकार के कारण हो रहे है।
बाघ को किस राजा ने हराया था?
भरत बचपन से ही बाघों के मुह में अपने हाथो से उनके दातों को गिना करते है। तथा वह उनसे खेला करते थे।