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पंचनदा: पांच नदियों का संगम विश्व के इस स्थान पर | जहॉं स्वंय तुलसीदास जी आये थे। - Place Where Five Rivers Meet in India (Pnchnada)

एक ऐसा जगह जहाँ से आप पांच नदियों का संगम एक साथ देख सकते हैं।  चंबल और यमुना एक साथ बहती है, वही एक ओर सिंध,क्वांरी,पहुज बहती है। पंचनद जा...

एक ऐसा जगह जहाँ से आप पांच नदियों का संगम एक साथ देख सकते हैं।  चंबल और यमुना एक साथ बहती है, वही एक ओर सिंध,क्वांरी,पहुज बहती है।

पंचनदा: पांच नदियों का संगम यूपी के इस जिले में होता है। | जहॉं स्वंय तुलसीदास जी आये थे। - Pnchnada (Purvanchal Samachar) image
पंचनद

जालौन और इटावा की सीमा पर पचंनद प्रकृति का एक अनूठा उपहार है। पांच नदियों का संगम तो दुनिया में कहीं भी नहीं है। इसलिए पंचनद को महा तीर्थराज के नाम से जाना जाता है।

चंबल से करीब पांच किलोमीटर चलने के बाद आप जंगलों के रास्ते और मिट्टी के टीलों के रास्ते से होते हुए पहुंचते हैं। शेरगढ़ कचहरी और यह वही जगह है जहाँ पर दो बड़ी नदियों के संगम होने की जो शुरुआत है, वह यहाँ से नज़र आती है। यमुना और चंबल यहीं आकर मिलती है।

और यहाँ से थोड़ी ही दूर पर वह दृश्य दिखाई भी देता है। इन नदियों का उद्गम स्थल हिमालय है। यमुना चंबल, सिंध क और बहुज जैसी पांच नदियों के संगम पचंनद Pnchnada बैराज पर बहुप्रतीक्षित बैराज बनने की सहमति से बॉर्डर इलाके के ग्रामीणों में काफी खुशी है।

यह वही जगह है जहाँ पर महाऋषि म​हर्षि सुपंच सुदर्शन का आश्रम हुआ करता था। और यहीं पर गोस्वामी तुलसीदास जी उनसे मिलने पधारे थे। वैसे तो भारत को ऋषि मुनियों का देश कहा जाता है। ऐसे ही एक ऋषि से जुड़ी कहानी पचनद के इतिहास का बखान करती है। यहाँ के एक तपस्वी ऋषि की कहानी कुछ ऐसी थी, कि खुद तुलसी दास गोस्वामी को उनकी ख्याति के चलते ऋषि की अग्नि परीक्षा लेनी पड़ी थी। 

मान्यता है, कि जब तुलसीदास को प्यास लगी तो उन्होंने किसी को पानी पिलाने के लिए आवाज दी। म​हर्षि सुपंच सुदर्शन ने अपने कमंडल से पानी छोड़ा, जो कभी खत्म ही नहीं हुआ और फिर तुलसीदास जी को उनके इस प्रताप को स्वीकार करना पड़ा।

यहॉं बैराज बनने की सहमति से बॉर्डर इलाके के ग्रामीणों में काफी खुशी है। 

परियोजना पर 2600 करोड़ की लागत आएगी। परियोजना पूरी होने पर जालौन, इटावा, औरैया, कानपुर देहात की हजारों हेक्टेयर सिंचित भूमि को सिंचित किए जाने के लिए नहरें निकाली जाएंगी, जिससे यहाँ कृषि क्रांति के साथ पर्यटन उद्योग विकसित होगा। इससे यहाँ के युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। 

साथ ही सिंचाई के पानी की समस्या का निदान होने से आर्थिक समृद्धि में इजाफा भी होगा। भूगर्भीय जल स्तर बढ़ाने से पेयजल संकट का स्थायी समाधान भी निकलेगा। पचंनद की वजह से जालौन और आसपास के जिलों में बाढ़ की समस्या भी खूब रहती है। पर बैराज के बनने के बाद उम्मीद है कि इस समस्या से भी थोड़ी निजात मिल पाएगी। पचंनदा यानी जहाँ पांच नदियों का संगम होता है। इसके साथ ही साथ इस जगह का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

पांच नदियों के मेल का यह अनोखा दृश्य पूरी दुनिया में और कहीं भी नहीं है। इस अनोखी खूबसूरती को समेटे यूपी का जालौन जिला अपने आप में एक मिसाल है। 


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